चंडीगढ़ में बुलेट से पटाखे बजाने वाले मामलों में निर्णय

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चंडीगढ़ में बुलेट से पटाखे बजाने वाले मामलों में निर्णय
चंडीगढ़ में बुलेट से पटाखे बजाने वाले मामलों में निर्णय

चंडीगढ़ में बुलेट से पटाखे बजाने वाले मामलों में 99 फीसदी कमी

बुलेट के साइलेंसर को मॉडिफाई कर तेज आवाज करने के 99 फ़ीसदी मामले कम हुए हैं लेकिन 1% अभी भी बाकी है।जस्टिस अजय कुमार मित्तल और जस्टिस अनूपिनदर सिंह ग्रेवाल की खंडपीठ ने वीरवार को सुनवाई के दौरान यह मोखिक टिप्पणी की।जस्टिस मित्तल ने कहा कि सेक्टर 4 के आसपास सुबह के समय एक दो बार की आवाजे सुनाई देती है।हाईकोर्ट ने  लंबित मामले वापस डिेसिट्रैकट कोर्ट को भेजने के निर्देश दिए और साथ ही कानून के मुताबिक इन मामलों का निपटारा किया जाए।

चंडीगढ़ प्रशासन ने सीनियर काउंसिल ने कोर्ट में कहा कि पुलिस इन  मामलो में कम से कम 1000  रुपये का चालान करती है लेकिन वाहन चालक डिेसिट्रैकट कोर्ट से महज 100-200 रुपये देकर चालान भुगत लेते है।इस पर हाई कोर्ट ने सभी मामले हाई कोर्ट को ट्रांसफ़र करने के निर्देश दिए थे।मोजूदा समय में 256 ऐसे मामले डिसिट्रकट कोर्ट चंडीगढ़ में लंबित है।इनमे से 18 मामलों में जुर्माना देकर चालान भुगत लिया गया है।हाई कोर्ट ने कहा की डिसिट्रकट कोर्टइस बारे में धयान रखे की दोबारा पकड़े जाने वालों का जुर्माना एक हजार से कम न हो और कानून के मुताबिक जुर्माना किया जाए।

चंडीगढ़ के डॉ. भवनीत गोयल की तरफ से याचिका दायर कर कहा गया था की बुलेट मोटर साइकिल के साइलेसर मोडिफिकेशन होने से धवनि प्रदुषण हो रहा है।एक ओर तो यह तेज धवनि वातावरण में प्रदूषण का बड़ा कारण बन रही है, वहीं लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डाल रही है।साइलेंसर मॉडिफिकेशन को बैन किया जाना जाए।बेंगलुरु की तरफ स्पेशल रक्वायर्ड बनाकर ऐसे वाहनों पर शिकंजा कसा जाए।

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