कविता
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
दीवाली में राष्ट्रहित का गला घोंटकर छेद ना करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
देश के धन को देश में रखना नहीं बहाना नाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
दीवाली में राष्ट्रहित का गला घोंटकर छेद ना करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
बने जो अपनी मिट्टी से वो दीये बीके बाजारों में
छुपी है विज्ञानिता अपनी सभी तीज त्यौहारों में
दीवाली में राष्ट्रहित का गला घोंटकर छेद ना करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
चाइनीज झालर से आकर्षित सब कीट पतंगे आते हैं
जबकि दीये में जलकर सब बरसाती कीड़े मर जाते हैं
दीवाली में राष्ट्रहित का गला घोंटकर छेद ना करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में
कार्तिक दीप दान के बदले मित्र दोष खुशहाली में
मिट्टी वाले दीये जलाना अबकी बार दीवालीमें
दीवाली में राष्ट्रहित का गला घोंटकर छेद ना करना थाली में
मिट्टी वाले दिए जलाना अबकी बार दीवाली में