गौ माता – राष्ट्रीय पशु घोषित करे या नहीं

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गाय को माता क्यों मानते है
गाय को माता क्यों मानते है

इलाहाबाद हाईकोर्ट की एक अनुशंसा आने के बाद एक बार फिर से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने पर बहस छिड़ गई है । ज्यादातर लोगों को ना गाय की प्रकृति के बारे में पता है और ना ही राष्ट्रीय पशु से संबंधित नियमों के बारे में ।एक भावनात्मक रूप से चलती हवा में सब एक सुर में गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित की मांग करने लगे । अनजाने में और एक भीड़ द्वारा कुछ भी मांग करने से पहले आपको उसके बारे में जानना पड़ेगा कि आखिर मसला क्या है ?हमारी संस्कृति में प्राचीन काल से ही गाय का विशेष महत्व रहा है चाहे वो धार्मिक तरीके से हो या आर्थिक तरीके से । सबसे पहले तो आपको ये मानना पड़ेगा कि गाय एक पशु ही है , लेकिन फिर भी इसका विशेष महत्व है क्यों की ये सब पशुओं में उत्कृष्ट और विशिष्ट है । इसलिए ही प्रकृति में जो भी चीज बाकी अपनी प्रजाति से अलग है उनको हमने एक विशिष्ट रूप में स्वीकार किया है चाहे वो गंगा नदी हो , पूजनीय पर्वत हो या हमारे लोकदेवता , ये सभी उत्कृष्ट और विशिष्ट होने की वजह से अपना एक अलग महत्व रखते है और इसी क्रम में हमने गाय को माता के रूप में स्वीकार किया था ।गाय में क्या उत्कृष्टता है और क्या विशिष्टता है इसका पता उन लोगो को जरूर है जिन्होंने गाय को बहुत पास से महसूस किया है । गाय में एक विशेष प्रकार की चेतना होती है जो बाकी पशुओं में नही होती है । गाय की चेतना को ग्रामीण क्षेत्रों में उन किसानों से पूछिए जो गाय के बहुत निकट है । गाय इंसान के सुख दुख और छोटे बच्चो के प्रति जो उसका वात्सल्य प्रेम है वो किसी से अनजाना नही है , इसी क्रम में उसमे और भी महत्वपूर्ण गुण होते है जो उनको बाकी पशुओं से अलग करते है ।अब शायद आपको समझ आया होगा की गाय का इतना अधिक महत्व क्यों है और लोग उनको माता क्यों कहते है और उनकी पूजा क्यों की जाती है अब अगल सवाल ये होगा की गाय की राष्ट्रीय पशु घोषित करने पर क्या होगा और नही किया तो क्या हो रहा है ?

ये सब मांगे उठना , गाय की दुर्दशा होना , गाय के नाम पर दंगे होना , ये सब गाय के राष्ट्रीय पशु होने या न होने के कारण नही हो रहे है , ये सब गिरते मानवीय मूल्यों का प्रतीक है ।

हमारे मानवीय मूल्य हमे गाय के लिए पहली रोटी बनाना से लेकर कुत्तों को भोजन कराने और पक्षियों को दाना डालने एवम् उनके लिए पानी की व्यवस्था करना सिखाते है लेकिन बढ़ती आधुनिकता और पूंजीवादी सोच ने इन सबको बस फोटो अपलोड करने के लिए किया जाने वाला कार्य समझ लिया है ।नही तो हमे याद है हमारी मां, दादी के नित्य कर्म में ये होता था की सुबह उठते ही पक्षियों को दाना डालना , उनके परिंडे में पानी डालना उसके बाद मंदिर जाना फिर खाना बनाते समय पहली रोटी गाय की और खाना खाने के बाद कुत्तों को बुलाकर भोजन कराना ।लेकिन ये सब अब ना तो राष्ट्रीय पशु घोषित करने से आने वाला है और ना ही माता घोषित करने से ।अगर सच में गाय और अन्य जानवरों को बचाना है तो उनके प्रति प्रेम भावना और उनको महसूस करना पड़ेगा जो की मानवीय मूल्यों से आता है ।

अगर गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित कर दिया जाता है तो वही हालत होगी जो राजस्थान में ऊंट की हो गई है , मैं राजस्थान में ऊंट के डाटा के आधार पर बात करू तो 2014 में ऊंट को राजकीय पशु घोषित करने के बात लगभग 20 वी पशुगणना में 35% बेतहाशा कमी देखी गई वो भी सरकार द्वारा अनेकों योजनाएं चलाने के बाद भी। क्यों की ऊंट की खरीद और बिक्री इतनी कम हो गई है आज एक भैंस के मूल्य में 3–4 ऊंट आ जाए , और उसकी उपयोगिता भी कम हो गई। इसी तरह गाय को बेचने में और खरीदने में इतनी समस्या आयेगी लोग भैंस रखना शुरू कर देंगे, कोई भी तीसरे दिन कोर्ट में खड़ा रहना नही चाहेगा, एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए इतने डॉक्यूमेंट बनाने पड़ेंगे नही तो उनको ये साबित करना मुश्किल हो जायेगा कोर्ट में की ये काटने के लिय नही ले के जा रहे थे, बाकी कोर्ट का तो पता ही है सबको , राष्ट्रीय पशु घोषित होने के बाद उसके कुछ मानक तय होंगे

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