कहानी :- बुलंद हौसले की जीत

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कहानी :- बुलंद हौसले की जीत
कहानी :- बुलंद हौसले की जीत

बुलंद हौसले की जीत
मीता अपने स्कूल में मुक्केबाजी की टीम में थी।इस खेल के लिए बहुत जरूरी अभ्यास की जरूरत होती है।मीता के घर में उसके बाद तीन और छोटे भाई बहन थे।सबसे बड़ी मीता थी और उसके बाद उसकी दो छोटी बहन भी थी-सारा और चारु।उसका भाई बहुत छोटा था।भाई के आने के बाद मां बहुत बीमार रहने लगी और रसोई मैं उनका जाना लगभग बंद हो गया।कक्षा 10 में पढ़ने वाली मीता पर घर के सारे काम का बोझ आ गया।काम के कारण मीता को घर आने की भी जल्दी रहती है।स्कूल से जल्दी आ कर काम में लग जाती।दूसरी तरफ का शौक उसे आवाज देता रहता।स्कूल के बाद विद्यार्थियों से अलग-अलग खेलों के लिए अभ्यास भी कराया जाता था। उसके स्पोर्ट्स टीचर उसे बहुत प्यार करती है और उसे हमेशा ही आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते रहते।उस साल का 15 अगस्त कुछ खास था।उसकी स्पोर्ट्स एकेडमी में मेरी कॉम आ रही थी मीता भी उसकी तरह एक सफल मुक्केबाज बनना चाहती थी।उसने मेरी कॉम का संघर्ष पढ़ा था।उसे हमेशा लगता था जब इतनी परेशानियों के बावजूद मेरी कॉम इतना आगे बढ़ सकती है तो वह क्यों नहीं|
15 अगस्त से 2 दिन पहले स्कूल में मुक्केबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।इस प्रतियोगिता में जीतने वाले को मैरी कॉम के हाथों ना केवल पुरस्कार मिला था,बल्कि जिले की तरफ से उसे आगे प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए भेजा जाना था।मीता अपने आदर्श से मिलने का सपना देखने लगी।जब भी मीता मैरी कॉम की तस्वीर देखती तो श्रदा से भर उठती।वह घर का क्या करें?उसे यह तो भरोसा था कि मैं जीत जाएगी, मगर घर का काम कैसे हो पाएगा?उसने मां से बात की!
‘बेटा,हम तुम्हें इतनी सुविधाएं नहीं दे पाएंगे।, माँ ने दुखी मन से कहा।‘मां,मैं कुछ नहीं मांग रही हूं।मैं बस स्कूल के बाद प्रेक्टिस करने का समय मांग रही हूं।स्कूल वाले ही सारा समान देंगे।मैंने बात कर ली है।बस जैसे अभी मैं 2:00 बजे घर आती हूं,प्रेक्टिस के बाद में 4:00 बजे तक आया करूंगी।मीता ने मां से अनुनय भरे शब्दों में याचना की।
मीता की माँ उस अनुनय की आच में पिघल रही थी, लेकिन वह अपने शारीरिक हालत को भी जानती थी।उन्हें डॉक्टर से ज्यादा काम करने के लिए और ज्यादा देर तक बैठने से मना किया था।
बेटा अगर तुम 4:00 बजे तक आओगे,तो तुम्हारी छोटी बहनों को खाना कौन देगा?तुम तो जानती ही होअभी मुझे अभी भी आराम चाहिए।मां ने बेचारगी भरे शब्दों में कहा।मीता दुखी मन से उठी,लेकिन उसने मेरी कॉम के पंच चल रहे थे।उस ने हार ना मानने का फैसला किया।वह परेशानियों की फिसलती जमीन पर किस तरह और किउओ फिसले?
जैसे ही उसने आंखें बंद की,उसकी आंखों में स्कूल के मंच पर वह और मेरी कॉम नजर आए।उस ने एकदम से घबरा कर आंखें खोल दी।मां के गले में बाहें डालती हुई बोली,” मां मैं शाम को 4:00 बजे ही आऊंगी, लेकिन चिंता मत करो,मैं सभी काम करके जाऊंगी।जहां तक रोटी भी सेक कर जाऊंगी।स्कूल से आकर सारा खाना गरम करके खुद भी खा लेगी और चारू को भी खिला देगी।इस तरह मीता की स्कूल टाइमिंग के बाद अभ्यास शुरू हुआ।वह मुक्केबाजी के लिए कठिन मेहनत करती और घर में भी सभी काम निपटाकर परिवार के सदस्यो को खुश रखने का प्रयास करती।वह 1 मिनट भी समय बर्बाद नहीं करती।
प्रतिस्पर्धा के दिन मीता की आंखें मैरी कॉम की तरह बनने के सपनो से भरी थी।उसके हर कदम में उसका पंच भरा जा रहा था।जीतने के बाद मेरी कॉम ने जब उसका नाम लेकर पुरस्कार के लिए मंच पर बुलाया,तो स्कूल के प्ले ग्राउंड के चारों ओर से मैरी… मैरी… और मीता –मीता की गुज सुनाई दे रही थी।मैरी ने उसे गले लगाते हुए सिर्फ इतना कहा-आज सिर्फ तुम्हारे बुलंद हौसले की जीत है।इतना सुनते हीमीता को लगा की अब उसका सपना जरुर पूरा होगा।

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