कहानी :- लालच बुरी बला है

0
3395
लालच बुरी बला है
लालच बुरी बला है

कहानी :- लालच बुरी बला है

एक गांव में एक किसान (Farmer) रहता था. उसकी सारी ज़मीन पिछले 2-3 सालों से सूखे की मार झेल रही थी और वो पूरी तरह सूख चुकी थी. सर्दी का मौसम आ चुका था. किसान पेड़ के नीचे आराम कर रहा था. शाम हो चुकी थी. तभी उसकी नज़र पास बने बिल पर गई, वहां एक सांप (Snake) अपना फन उठाए बैठा था.
किसान ने सोचा की मैंने तो कभी इस साप को देखा नही जो सालों से यहीं रहता है | लेकिन मैंने इसकी कभी पूजा नहीं की और शायद यही वजह है कि मेरी सारी ज़मीन सूख चुकी है. किसान ने ठान लिया कि मैं हर रोज़ सांप की पूजा किया करूंगा.
किसान रोज दूध लेकर बिल के पास जाकर कहने लगा, “हे नागराज, मुझे नहीं पता था कि आप यहां रहते हैं, इसलिए मैंने कभी आपकी पूजा नहीं की. मुझे क्षमा करें, अब से मैं रोज़ आपकी पूजा करूंगा…” किसान सोने चला गया. सुबह देखा, तो उस दूध के कटोरे में कुछ चमक रहा था. पास जाकर किसान ने देखा, तो वह सोने का सिक्का था.| अब . किसान को रोज़ ही एक-एक करके सोने का सिका मिलने लगा|

एक दिन किसान को काम के लिए बाहर जाना पड़ा उसने बेटे को दूध पिलाने के लिए कहा,
बेटे ने वैसा ही किया|.बेटे ने सोचा की क्यों ना साप को मार कर सरे सीके निकल लू | अगली शाम लड़का जब दूध देने गया, तो उसने सांप को देखते ही उस पर छड़ी से वार किया, जिससे सांप ने विकराल रूप धारण कर लिया और उसे डस लिया. ज़ख़्मी सांप उसके बाद अपने बिल में चला गया. किसान के रिश्तेदारों ने उसके बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया.
जब किसान लौटा, तो अपने बेटे की मृत्यु की ख़बर से बहुत व्यथित हुआ. उसे सांप पर भी बहुत क्रोध आया, लेकिन सांप ने उसे सारी सच्चाई बताई, तो किसान ने कहा. “मुझे पता है कि ग़लती मेरे बेटे की थी, उसकी तरफ़ से मैं माफ़ी मांगता हूं. किसान ने उसे दूध दिया और उससे फिर माफ़ी मांगते हुए कहा, “कृपया मेरे बेटे को माफ़ करें.” सांप ने कहा, “उन लकड़ियों के ढेर को और मेरे सिर को देखो, दरअसल यह न तो तुम्हारे बेटे का दोष था और न ही मेरा. परिस्थिति ही कुछ ऐसी बन गई थी कि यह सब कुछ हो गया. यह भाग्य का ही खेल था. भाग्य के आगे हम सब मजबूर हैं.
सीख: यह सच है कि भाग्य अपना खेल खेलता है, लेकिन हमारे कर्म भी मायने रखते हैं. लालच का फल हमेशा बुरा ही होता है. कभी भी लालच में आकर ऐसा काम नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरों को हानि पहुंचाने की सोचें, वरना लेने के देने पड़ सकते हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here