5 साल से कम उम्र के बच्चों का इम्यून सिस्टम पूरी तरह विकसित नहीं होता, इसलिए उनमें न्यूमोनिया की आशंका बढ़ जाती है।सबसे दुखद बात यह है कि विश्व भर में प्रत्येक वर्ष 18% बच्चों की मौत इसी बीमारी की वजह से होती है।उनमे इसका संक्रमण वायरस की वजह से होता है, जिसे दूर करना काफी मुश्किल होता है। नवजात शिशु को सर्दी जुकाम हो तो विशेष रूप से सजगता बरतनी जानी चाहिए।सांस का तेज चलना, होठों या हाथ-पैरों की उग़लियों का नीला पड़ जाना,दूध न पीना,अचानक सुस्त पड़ जाना,स्टूल या यूरिन के साथ खून आना आदि लक्षण न्यूमोनिया की ओर संकेत करते हैं।इसलिए शिशु के सर्दी जुकाम को हल्के में ना लें और कोई भी तकलीफ होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।छोटे बच्चों को न्यूमोनिया से बचाने के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखें: अगर घर में छोटा बच्चा है तो सफाई का विशेष रुप से ध्यान रखें और उसे गोद में उठाने से पहले हाथ धोना न भूले।शिशु के कमरे में जूते चप्पल पहन कर न जाए।
अगर परिवार में किसी को सर्दी- जुकाम हो तो उसे नवजात शिशु से दूर ही रहना चाहिए।
सर्दियों के मौसम में शिशु को उतने ही सवेटर पहनाएं,जितने भी जरूरी हो।कई बार ज्यादा ऊनी कपड़े पहनाने की वजह से भी शरीर से पसीना निकलने लगता है और उसकी ठंडक से भी निमोनिया हो सकता है।बदलते मौसम में सर्दी से बचाव जरूरी है।बाहर निकलते समय हल्के ऊनी कपड़े पहनना न भूले।
कमजोर इम्यून सिस्टम न्यूमोनिया की प्रमुख वजह है।अत:इसे मजबूत बनाने के लिए नियमित रूप से मौसमी फलों और हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें।
यह धारणा गलत है कि फल और दही खाने से सर्दी जुकाम हो जाता है।हां, फ्रिज से तुरंत निकालने के बाद ऐसी चीजें खाने या ठंडा पानी पीने से तकलीफ बढ़ सकती है।
अगर तीन चार दिनों के बाद भी सर्दी- जुकाम ठीक न हो तो डॉक्टर से सलाह अवश्य ले।केवल घरेलु उपचारों पर निर्भर न रहे kuikक्योंकि इस संक्रमण को दूर करने के लिए निशिचत मात्रा में दवाओं का सेवन जरुरी है।
अगर इन छोटी- छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो शवसन- तंत्र से जुडी इस समस्या से बचाव संभव है।