कहानी : बलिदान

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बलिदान

उन दिनो  और रूस और जापान में युद्ध चल रहा था। रूस की तुलना में जपान बहुत छोटा देश है।रूस में उन दिनों जार का राज्य था ।जापान में भी राजतंत्र था। वहां का राजा मिकाडो  था।रूस के युद्धपोत जहाज जापान पर आक्रमण के लिए आ रहे थे।मिकाडो   ने सोचा कि कितना ही अच्छा हो, यदि रूस के जहाज समुंदर में ही डुबो दिए जाएं।इस प्रकार उसकी आक्रमण की शक्ति कम हो जाएगी। मिकाडो ने जपानी जनता का आह्वान किया की जपानी  सेना को ऐसे देश भक्तों की आवश्यकता है जो अपने प्राणों पर खेलकर रुसी जहाजों को समुंदर में डुबो दे।वे  जीवित तो शायद ही लौट  सके।मिकाडो  के पास आवेदन-पत्रों के ढेर लग गए। आवेदनों को शाटा गया।अनेक पत्र  जो रक्त से लिखे गए थे। उन्हीं में से कुछ लोग शाट  लिए गए। शेष हजारों जापानियों की इच्छा हृदय में ही रह गई कि काश! हम भी इस संकट के समय अपने देश के काम आते।उन  वीर और देशभक्त जापानियों को हवाई जहाज में से छलांग लगाने का प्रशिक्षण दिया गया। फिर उनके शरीर के साथ बम बांधे गए और उन्हें रुसी जहाजों के इंजनों की भट्टियो के  ऊपर लगी चिमनियों में छलांग लगवायी  गयी ।बमों  के फटने से रुसी जहाजों के परखच्चे उड़ गए और जापानी  देशभक्तों के शरीर चिथड़े  बनकर उड़ गए।रुसी जहाज समुंदर में डूब गये।एक  बड़े देश की विशाल जल सेना को हार खानी पड़ी और छोटा सा देश जापान अपने देश भक्तों के कारण विजयी  हुआ। उन वीर जवानों में दो बालक 12 और 14 वर्ष के थे। वे  दोनों बालक जापान के राजा मिकाडो  के पास स्वयम पहुंचे थे तथा इस आत्मबलिदान की अनुमति के लिए हठपूर्वक अपने राजा को मनाया था।उन दिनो  और रूस और जापान में युद्ध चल रहा था। रूस की तुलना में जपान बहुत छोटा देश है।रूस में उन दिनों जार का राज्य था ।जापान में भी राजतंत्र था। वहां का राजा मिकाडो  था।रूस के युद्धपोत जहाज जापान पर आक्रमण के लिए आ रहे थे।मिकाडो   ने सोचा कि कितना ही अच्छा हो, यदि रूस के जहाज समुंदर में ही डुबो दिए जाएं।इस प्रकार उसकी आक्रमण की शक्ति कम हो जाएगी।

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