आरती के रचियता

0
746
Rituals of aarti
Rituals of aarti

मैंने कुछ लोगों से पूछा कि क्या उन्हें पता है कि प्रसिद्ध आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता कौन है एक ने जवाब दिया कि हर आरती तो पौराणिक काल से गाई जाती है एक ने इस आरती को वेदों का एक भाग बताया और एक ने कहा कि संभवत इसके रचयिता अभिनेता निर्माता निर्देशक मनोज कुमार हैं ओम जय जगदीश हरे आरती आज हर हिंदू घर में गए जाती है इस आरती की तर्ज पर अन्य देवी देवताओं की आरतियां बन चुकी हैं और गाई जाती हैं परंतु इस मूल आरती के रचयिता के बारे में काफी कम लोगों को पता है इस आरती के रचयिता थे पंडित श्रद्धा राम शर्मा जा श्रद्धा राम फिल्लौरी पंडित शरदा राम शर्मा का जन्म पंजाब के जिले लंदन में सिर्फ लो शहर में हुआ था वह सनातन धर्म प्रचारक ज्योतिषी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगीत तथा हिंदी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे उनका विभाग से महिला मेहताब और के साथ हुआ था बचपन से ही उन्हें ज्योतिष और साहित्य के विषय में गहरी रुचि थी उन्होंने वैसे तो किसी प्रकार की शिक्षा हासिल नहीं की थी परंतु उन्होंने 7 साल की उम्र तक गुरमुखी में पढ़ाई की और 10 साल की उम्र तक वह संस्कृत हिंदी फारसी भाषाओं तथा ज्योतिष की विद्या में पारंगत हो चुके थे उन्होंने पंजाबी गुरमुखी में सिखा दे दिया और पंजाबी बातचीत की उनकी पहली किताब की किताब में उन्होंने सिख धर्म की स्थापना और इस की नीतियों के बारे में बहुत सारे बताया था यह लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय हुई थी और अंग्रेज सरकार ने कब होने वाली परीक्षा के कोर्स में इस पोस्ट को शामिल किया था पंडित शरदा राम शर्मा गुरमुखी और पंजाबी के अच्छे जानकार थे और उन्होंने अपनी पहली पुस्तक गुरमुखी में ही लिखी थी परंतु वे मानते थे कि हिंदी के माध्यम से ही अपनी बात को अधिकाधिक लोगों तक पहुंचाया जा सकता है हिंदी के जाने-माने लेखक और साहित्यकार पंडित रामचंद्र शुक्ल ने पंडित शरदा राम शर्मा और भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिंदी के पहले 2 लेखों में माना है उन्होंने भाग्यवती नामक एक लिखा था जो हिंदी में था माना जाता है कि यह हिंदी का पहला उपन्यास है इस उपन्यास का प्रकाशन 1888 में हुआ था इसके प्रकाशन से पहले ही पंडित शरदा राम का निधन हो गया परंतु उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी ने काफी कष्ट सहन करके भी इसका प्रकाशन करवाया था वैसे पंडित शरदा राम शर्मा धार्मिक स्थानों के लिए काफी प्रसिद्ध थे महाभारत का उदाहरण देते हुए अंग्रेजी के खिलाफ जनजागरण का ऐसा वातावरण प्यार करते थे उनका एक व्यक्ति के भीतर देशभक्ति की भावना घर जाते लेकिन उनके द्वारा लिखी गई किताबों का पठन विद्यालयों में हो रहा था और वह जारी रहा निष्कासन का उन पर कोई असर नहीं हुआ बल्कि उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई पंडित शरदा राम ने अपने व्याख्या से लोगों में अंग्रेज सरकार के खिलाफ क्रांति की मशाल ने नहीं दिलाई बल्कि साक्षरता के लिए भी जबरदस्ती काम किया 18 सो 70 में उन्होंने एक ऐसी आरती लिखी जो भविष्य में घर-घर में गाए जाने वाली थी वह आरती ओम जय जगदीश हरे पंडित शर्मा यहां कहीं जाते ओम जय जगदीश आरती गाकर सुनाते उनकी यह आरती लोगों के बीच लोकप्रिय होने लगी और फिर तो आज पीढ़ियां गुजर जाने के बाद भी आरती गाई जाती रही है और कालजई हो गई है पंडित शर्मा हजार और आत्म प्रशंसा से दूर रहे थे शायद यह भी एक वजह है कि उनकी रचनाओं को 4: 00 से बढ़ने वाले लोग भी उनके जीवन और उनके कार्यों से परिचित नहीं है 24 जून 18 सो 81 को लाहौर में पंडित शरण शर्मा ने आखिरी सांसें ओम जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे जनों के संकट दास जनों के संकट क्षण में दूर करे जो ध्यावे फल पावे दुख बिनसे मन का स्वामी दुख सुख संपति घर आवे सुख संपति घर आवे कष्ट मिटे तन का ओम जय जगदीश पिता तुम मेरे शरण शरण मात पिता तुम मेरे शरण गहूं मैं किसकी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here