प्रदूषण का असर
कुछ साल पहले मालवा खासकर फरीदकोट के कई गांव में बच्चों के अंगों में विकृतियों के मामले सामने आए थे।भाभा अनुसंधान के अंदर ने तब वहां जांच करवाई थी तो पता चला था कि वह विकृतियां यूरेनियम और हंसाने की वजह से हैं जो के वहां की मिट्टी और पानी में मौजूद है टेढे मेढे हाथ पैर, अविकसित शरीर और बाल झड़ने जैसी विकृतियां तब पाई गई थी। अब माझा के गुरदासपुर में मेहर चंद रोड पर स्थित एक झुग्गी बस्ती में करीब आधा दर्जन बच्चों के पैर टेढ़े होने और कुछ अन्य में भेगेपन की शिकायत मिली हैजोकि एक बार फिर चिंता का विषय है।एक तरफ सरकारे सड़क, पानी, बिजली व सेहत से संबंधित कई दावे व वादे करती है।दूसरी तरफ हकीकत यह है कि आप गुरदासपुर के इस इलाके में यह विकृति प्रदूषित पानी की वजह से मानी जा रही है हालांकि यह इलाका झुग्गी बस्ती है जो कि अवैध ही कहा जाएगा और वहां साफ पेयजल स्थानीय निकाय की प्राथमिकता नहीं होगी लेकिन फिर भी अगर काफी समय से वहां रह रहे लोगों को गंदा पानी पीना पड़ रहा है तो कोई तो देखेगा, कोई तो सुध लेगा। इंसानी जिंदगियों को इस तरह बर्बाद होने के लिए तो नहीं छोड़ा जा सकता।अभी वहां के पानी की सैंपल जांच की रिपोर्ट आनी है लेकिन इस सारी औपचारिकता में स्वास्थ्य महकमे की कार्यवाही में देरी नहीं होनी चाहिए।सरकार को सिर्फ इनही इलाकों में नहीं बल्कि बाकी सभी ऐसी जगहों की भी मिट्टी और पानी की जांच करवानी चाहिए जहां से ऐसी शिकायतें मिल रही हैं या ऐसी आशंका नजर आती है।पंजाब में अनेक कारणों से कई जगह पानी प्रदूषित है।कई उद्योगों के कारण तो कहीं अधिक कीटनाशकों के इस्तेमाल के कारण मालवा में यूरेनियम व अन्य आर्थिक घातक तत्व पाए जाने के सही कारण अभी तक पता नहीं चल पाए हैं।संस्थानों के वैज्ञानिकों व अन्य विशेषज्ञों द्वारा सर्वेक्षण करवाना चाहिए और जांच रिपोर्ट के आधार पर कारगर योजना बनाई जानी चाहिए।