जरा ध्यान दीजिए चुनाव में यह हो सकता है

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जरा ध्यान दीजिए
जरा ध्यान दीजिए
जरा ध्यान दीजिए
जिनको 2004 का चुनाव याद है वो Result वाले दिन लगा SHOCK नहीं भूले होंगे। सारे Opinion Poll, Survey, राजनीति के पंडित TINA (There Is No Alternative) फैक्टर की बात करके एक ही बात कह रहे थे कि वाजपेयी जी की जीत निश्चित है। इस निश्चिन्तता की ऐसी हवा चली कि Middle Class वोटर्स वोट देने नहीं निकले। सोनिया गांधी अप्रत्याशित रूप से चुनाव जीती। *सोनिया की इसी जीत से एक निचोड़ निकला कि सामान्य वोटर्स आलसी है और उसके इस आलसपन को हवा देना भी जीतने का  एक  तरीका  है।*
क्या ये रणनीति फिर से दोहराई जा रही है?
1. पहले वाराणसी से प्रियंका वाड्रा के चुनाव लड़ने की खबर पहले उड़ाई गई।
2. फिर ऐन मोदी के रोड शो के दिन प्रियंका के पीछे हटने की घोषणा करके ‘कांग्रेस के डर जाने का’ एक ‘संदेश’ दिया गया।
3. पिछले बार के हारे हुए प्रत्याशी अजय राय को फिर से खड़ा किया गया।
4. SP-BSP ने भी काशी के मेयर चुनाव में हारी हुई उम्मीदवार को ही खड़ा किया।
5. Anti Modi पत्रकार संजीव श्रीवास्तव, नलिनी सिंह, नीरजा चौधरी और कांग्रेस समर्थक सुमन रमन अचानक “मोदी की जीत तय” होने का संदेश देने लगे।
6. कांग्रेस के Sr नेता और गांधी-वाड्रा के करीबी Sam Pitroda ने PC करके प्रियंका के स्वयं के पीछे हटने की बात फैलाई, मतलब ये संदेश देने की कोशिश की कि प्रियंका और कांग्रेस मोदी से डर गए हैं।
सवाल ये है कि क्या ये सब अचानक अपने आप हो रहा है या फिर कोई योजना के तहत ये भी एक चुनावी रणनीति है *वोटर्स को demotivated करके वोट नहीं करने को प्रोत्साहन करने की ?*
याद रखिये वाजपेयी जी इसलिये नहीं हारे थे कि वो पॉपुलर नहीं थे बल्कि इसलिए हारे थे कि middle class वोटर्स उनकी जीत को निश्चित समझ कर वोट देने नहीं निकला बल्कि छुट्टी मनाने चला गया। वोट pc था केवल 56pc
वो कहानी हमें नहीं भूलनी चाहिए कि एक राजा ने अपने राज्य को अकाल से बचाने के लिए एक अनुष्ठान किया। एक सन्यासी ने राजा से *जनभागीदारी का अनुष्ठान* करने को कहा। उन्होंने कहा कि राज्य का हर व्यक्ति यदि कुएं में एक लोटा दूध डालकर उस कुएं को दूध से भर देगा तो वर्षा होगी। लेकिन राज्य के एक व्यक्ति ने सोचा कि इतने लोग तो दूध डालेंगे ही फिर मैंने यदि एक लोटा पानी डाल दिया तो क्या फर्क पड़ेगा!!! त्रासदी ये कि राज्य के हर व्यक्ति ने यही सोचा और यही किया भी। नतीजा ये सारा अनुष्ठान विफल हो गया।
*यही सोच कांग्रेस भी पैदा करना चाहती है कि मोदी की सरकार तो निश्चित ही है फिर यदि मैंने अकेले ने वोट नहीं किया तो क्या फर्क पड़ता है!!*
इस भयंकर षड्यंत्र को समझें और ये जान लें कि मोदी की सरकार तो निश्चित तभी होगी जब हम सब अपना अपना वोट देने खुद भी घर से निकलें और अपने दोस्तों, परिवार वालो और पड़ोसियों को भी साथ लेकर जाएं।
अपना-अपना एक लोटा दूध इस यज्ञ में डालना यही हमारा राष्ट्रीय कर्तव्य है क्योंकि *वोट करना भी देशभक्ति है*
*- गिरीश डागा*
मेरी बात ठीक लगे तो FORWARD करें या फिर copy-paste भी कर सकते हैं।
इस षड्यंत्र का पर्दाफाश करें और  अधिकाधिक मतदान का प्रयत्न करें।
भारत माता की जय

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