जगन्नाथ का भात , कोई न पूछे जात —

0
718
जगन्नाथ का भात , कोई न पूछे जात -दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहाँ है?

जगन्नाथ का भात , कोई न पूछे जात —

दुनिया की सबसे बड़ी रसोई कहाँ है? भगवान जगन्नाथ मंदिर,पुरी की रसोई दुनिया में सबसे बड़ी है।एक एकड़ में फैली 32 कमरों वाली इस विशाल रसोई में भगवान् को चढ़ाये जाने वाले महाप्रसाद को तैयार करने के लिए 752 चूल्हे इस्तेमाल में लाए जाते हैं और लगभग 500 रसोइए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं। सारा प्रसाद मिट्टी की सात सौ हंडियों में पकाया जाता है।
भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। मीठे व्यंजन तैयार करने के लिए यहाँ शक्कर के स्थान पर अच्छे किस्म का गुड़ प्रयोग में लाया जाता है। आलू, टमाटर और फूलगोभी का उपयोग मन्दिर में नहीं होता। भोग में प्याज व लहसुन का प्रयोग निषिद्ध है।
यहाँ रसोई के पास ही दो कुएं हैं, जिन्हें ‘गंगा’ व ‘यमुना’ कहा जाता है। केवल इनसे निकले पानी से ही भोग का निर्माण किया जाता है। इस रसोई में 56 प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है। रोज़ कम से कम 10 तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
आठ लाख़ लड्डू एक साथ बनाने पर इस रसोई का नाम गिनीज़ बुक में भी दर्ज हो चुका है।
रसोई में एक बार में 50 हज़ार लोगों के लिए महाप्रसाद बनता है। मन्दिर की रसोई में प्रतिदिन बहत्तर क्विंटल चावल पकाने का स्थान है। प्रतिदिन नये बर्तन ही भोग बनाने के काम आते हैं।
सर्वप्रथम भगवान् को भोग लगाने के पश्चात् भक्तों को प्रसाद दिया जाता है। भगवान् श्री जगन्नाथ को दिन में छह बार महाप्रसाद चढ़ाया जाता है।
रथ यात्रा के दिन एक लाख़ चौदह हज़ार लोग रसोई कार्यक्रम में तथा अन्य व्यवस्था में लगे होते हैं। जबकि 6000 पुजारी पूजाविधि में कार्यरत होते हैं। यहाँ भिन्न-भिन्न जातियों के लोग एकसाथ भोजन करते हैं, जात-पाँत का कोई भेदभाव नहीं रखा जाता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here