कहानी किसान को कर्ज ताकि चक्रव्यूह में फंसे
कलिंग राज्य में मंगरु नाम का किसान रहता था।शरीर से दुबला-पतला।प्राiण और ऋण इन दोनों चीजो ने ही उसका साथ कभी नहीं छोड़ा था।बाकी पत्नी-बच्चे सब छोड़ कर जा चुके थे।सिर से पैर तक कर्ज में डूबा मंगरु एक दिन मंत्री केशवनाथ के पास पहुंचा और सवाल किया मेरी स्थिति कब सुधरेगी?आपके खजाने से खूब ऋण भी मिलता है,लेकिन न मैं किसी को जानता हूं ना कोई मुझे सही सलाह दे पाता है।
जवाब देने के बजाय मंत्री केशवनाथ ने उसे एक ऐसा दर्पण दे दिया और कहा कि यह कमियां बताता है। मंगरु दर्पण लेकर अपने मित्र और घर वालों तक सब के पास गया लेकिन उसे उनकी कमियां ही दिखी। उसे लगने लगा की इस दर्पण के कारण वो और परेशान रहने लगा है।ऐसे में वो वापस करने केकेशवनाथ के पास पहुंचा और स्थिति बताई। मैंने तुम्हें इसलिए नहीं दिया कि तुम दूसरों की कमियां देखो।बल्कि तुम अपनी कमियां पहचानो। कहानी किसान को कर्ज ताकि चक्रव्यूह में फंसे
मंत्री की चतुराई को देखकर किसान ने एक विद्वान ब्राह्मण से सवाल किया कि मंत्री जी इस दर्पण से क्या कहना चाह रहे थे।
जवाब मिला-वे कह रहे थे हम तुम्हें ऋण इसलिए नहीं देते हैं कि तुम्हारी स्थिति सुधर जाए।बल्कि हम करोड़ों का ऋण इसलिए बाटते और माफ करते हैं कि तुम हमेशा हमें ही चुनो और फिर से क़र्ज़ के चक्रव्यूह में फस जाओ।