अभी हाल ही में गुरुग्राम के रेयान इन्टरनेशनल स्कूल में एक मासूम बच्चे के साथ घटित भीषण दृष्कृत्य ने समूचे देश को झंझोड़कर रख दिया। इस घटना ने अनेक सवालों को एक साथ ही जन्म दे दिया है। निश्चित रूप से ऐसी घटनाओं को सुनकर और इसे महसूस कर प्रत्येक देशवासी का दिल दहल जाता है। इस प्रकार की घटनाएं बार-बार यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या बच्चों को ‘स्कूल भरोसे’ छोड़ना उचित है? यदि नहीं, तो फिर अभिभावक क्या करें, स्कूल क्या करें और समाज व सरकार की क्या जिम्मेदारी है?बच्चों को केवल स्कूल भरोसे छोड़ देना बच्चों के साथ अन्याय है, फिर भी जाने अनजाने में अधिकाँश अभिभावक ऐसा कर रहे हैं। अभिभावकों की जाने अनजाने में की गई इस गलती से बच्चों का भविष्य और अभिभावकों का बुढ़ापा अन्धकारमय हो रहा है। इस विषय पर कुछ बुद्धिजीवी अभिभावकों से हुई बातचीत ने मुझे चौंका दिया। इन अभिभावकों से मुझे जो सुनने व देखने को मिला, वह बच्चों के लिए शुभ संकेत नहीं है। ।मैं यह भी नहीं कहता हूँ कि बच्चे के भविष्य की सारी जिम्मेदारी माता-पिता की है, शिक्षक व विद्यालय की नहीं है। उसके लिए माता-पिता, विद्यालय व शिक्षक तीनों को संयुक्त रूप से प्रयास करना होगा। इन्हें अपनी अपनी जिम्मेदारियों को वहन करना पड़ेगा तभी बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव है।बच्चों को भौतिक शिक्षा के साथ ही आध्यात्मिक शिक्षा देकर उन्हें नेक इन्सान बनायेंगे।