ग्रामीण महिलाओं ने बनाया देसी हॉर्लिक्स

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ग्रामीण महिलाओं ने बनाया देसी हॉर्लिक्स
ग्रामीण महिलाओं ने बनाया देसी हॉर्लिक्स

ग्रामीण महिलाओं ने बनाया देसी हॉर्लिक्स

देश में गरीब 9 करोड महिलाएं कुपोषण के शिकार हैं।यही हाल गर्भवती महिलाओं का है। गर्भवती महिलाओं को जितने पौष्टिक पदार्थों की आवश्यकता होती है वह उन्हें नहीं मिल पाती। इससे जच्चा और बच्चा दोनों कुपोषण के शिकार होते हैं।उन्हें सही समय पर पोषक तत्व ना मिल पाने से उनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहद कम रहती है।झारखंड की महिलाएं इस कुपोषण को मात देने में काबिलेतारीफ काम कर रही हैं।

ग्रामीण महिलाओं द्वारा निर्मित हॉर्लिक्स महिलाओं, वृद्धों, बच्चों और जच्चा-बच्चा को पोषण तो दे ही रहा है, साथ ही इसे बनाने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर भी बना रहा है।जिसकी बदौलत यहां की महिलाएं अब न केवल खुद समृद्धि की राह पर हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं।अपने आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाली महिलाओं व बच्चों को कुपोषित देखकर मार्च 2017 में रांची जिले के सुदूरवर्ती आईद गांव की निवासी सुभाष चंद्र के मन में सबसे पहले इस देसी हॉर्लिक्स को बनाने का विचार आया।इसके बाद सुभाषी आइद ने यह ठान ली के यहां की महिलाओं और बच्चों को कुपोषण से मुक्त करना है।

फिर उसने अपने आसपास के ग्रामीण महिलाओं को जोड़ा और चावल, गेहूं, मूंगफली, मकई, मसूर, अरहर, मूंग दाल, चना जैसे 12 अनाजो को मिलाकर देसी हॉर्लिक्स का निर्माण शुरू कर दिया।

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