सत्संगी का संग

0
630
सत्संगी का संग

एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे ।

तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर बोला : ‘‘साहब ! बूट पॉलिश ?’’

उसकी दयनीय सूरत देखकर उन्होंने अपने जूते आगे बढ़ा दिये, बोले : लो, पर ठीक से चमकाना।’’

लड़के ने काम तो शुरू किया परंतु अन्य पॉलिशवालों की तरह उसमें स्फूर्ति नहीं थी।

वे बोले : ‘‘कैसे ढीले-ढीले काम करते हो, जल्दी-जल्दी हाथ चलाओ !’’ वह लड़का मौन रहा ।

इतने में दूसरा लड़का आया । उसने इस लड़के को तुरंत अलग कर दिया और स्वयं फटाफट काम में जुट गया।हले वाला गूँगे की तरह एक ओर खड़ा रहा । दूसरे ने जूते चमका दिये ।

‘पैसे किसे देने हैं ?’ – इस पर विचार करते हुए उन्होंने जेब में हाथ डाला । उन्हें लगा कि ‘अब इन दोनों में पैसों के लिए झगड़ा या मारपीट होगी !!फिर उन्होंने सोचा, ‘जिसने काम किया, उसे ही दाम मिलना चाहिए !!’ इसलिए उन्होंने बाद में आने वाले लड़के को पैसे दे दिये !!!उसने पैसे ले तो लिये परंतु पहले वाले लड़के की हथेली पर रख दिये । प्रेम से उसकी पीठ थपथपायी और चल दिया !वह आदमी विस्मित नेत्रों से देखता रहा । उसने लड़के को तुरंत वापस बुलाया और पूछा : ‘‘यह क्या चक्कर है ?’’

लड़का बोला : ‘‘साहब ! यह तीन महीने पहले चलती ट्रेन से गिर गया था । हाथ-पैर में बहुत चोटें आयी थीं !!

ईश्वर की कृपा से बच गया, नहीं तो इसकी वृद्धा माँ और पाँच बहनों का क्या होता !!’’

फिर थोड़ा रुककर वह बोला : ‘‘साहब ! यहाँ जूते पॉलिश करने वालों का हमारा ग्रुप है और उसमें एक देवता जैसे हम सबके प्यारे चाचाजी हैं, जिन्हें सब ‘सत्संगी चाचाजी’  कह के पुकारते हैं । वे सत्संग में जाते हैं और हमें भी सत्संग की बातें बताते रहते हैं ।उन्होंने सुझाव रखा कि ‘साथियों ! अब यह पहले की तरह स्फूर्ति से काम नहीं कर सकता तो क्या हुआ..!!ईश्वर ने हम सबको अपने साथी के प्रति सक्रिय हित, त्याग-भावना, स्नेह, सहानुभूति और एकत्व का भाव प्रकटाने का एक अवसर दिया है !!जैसे पीठ, पेट, चेहरा, हाथ, पैर भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही शरीर के अंग, ऐसे ही हम सभी शरीर से भिन्न-भिन्न दिखते हुए भी हैं एक ही आत्मा ! हम सब एक हैं !!

स्टेशन पर रहने वाले हम सब साथियों ने मिलकर तय किया कि हम अपनी एक जोड़ी जूते पॉलिश करने की आय प्रतिदिन इसे दिया करेंगे.. और जरूरत पड़ने पर इसके काम में सहायता भी करेंगे !!!जूते पॉलिश करने वालों के ग्रुप में आपसी प्रेम, सहयोग, एकता तथा मानवता की ऐसी ऊँचाई देखकर वे सज्जन चकित रह गये !!!एक सत्संगी व्यक्ति के सम्पर्क में आने वालों का जीवन मानवीयता, सहयोग और सहृदयता की बगिया से महक जाता है !!

सत्संगी अपने सम्पर्क में आने वाले लोगों को अपने जैसा बना लेते है !!!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here