आजकल के बच्चों में सहनशीलता की कमी
चिंताजनक है के वर्तमान में बच्चों में संयम और सहनशीलता की भारी कमी महसूस हो रही है। बड़ों की जरा सी फटकार पर बच्चे ऐसे कदम उठा लेते हैं कि पीछे से परिवार ताउम्र रोने के लिए मजबूर हो जाता है।यदि इसके लिए हम अपनी आधुनिक जीवनशैली और खानपान को भी किसी हद तक दोषी माने तो शायद इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।आजकल के बच्चों में सहनशीलता की कमी है।पहले संयुक्त परिवार होते थे तो बच्चे बड़े बुजुर्गों से स्वयं व सहनशीलता के साथ साथ संस्कार भी सीखते थे परंतु अब एकल परिवार में मां-बाप दोनों सारा दिन परिवार के भरण पोषण के लिए अपने कामों में इतने व्यस्त रहते हैं कि उनके पास बच्चों के लिए समय ही नहीं है।ऐसे बच्चों में सोशल मीडिया या फिर टीवी से ज्ञान की बातें सीखने के बजाय उल्टे-सीधे काम सीख रहे हैं। मां-बाप के जरा सा कुछ कह देने पर एकदम गुस्से में आ जाते हैं। कहीं ना कहीं यह टीवी या फिर मोबाइल पर से मिले ज्ञान का ही असर है।सहनशीलता की कमी के कारण ही इससे पूर्व भी कई बच्चे परीक्षाओं में असफल रहने पर परिजनों की जरा सी झिडकी पर आत्महत्या जैसा जघन्य अपराध कर चुके हैं। मां बाप को चाहिए कि वह अपने बच्चों को पर्याप्त समय दें। उसकी बात को सुने और उनकी समस्याओं का निराकरण करें।बच्चों को अच्छे व बुरे का भेद करना सिखाए और अच्छे संस्कार दे।जितना हो सके बच्चों को फास्ट फूड, मोबाइल व टीवी से दूर रखें।