देश को टीबी मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार ने सख्ती बरतने का फैसला किया है। टीबी मरीजों की जानकारी छिपाने वाले निजी व सरकारी डॉक्टर तथा दवा विक्रेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा। ऐसे में इन को जेल भी हो सकती है।सरकार ने हाल ही में इस बंदी नोटिफिकेशन जारी किया है। वही टीबी मरीजों को कई तरह की सुविधाएं देने का फैसला लिया गया है। टीवी के मरीज की जानकारी नहीं दी तो होगी जेल
पंजाब में निजी और सरकारी डॉक्टरों के तालमेल में अभाव में टीबी रोग घातक रूप धारण करने लगा है। टीबी रोग नोटीफाइड होने के बावजूद ज्यादातर निजी डॉक्टर मरीजों का पंजीकरण करवाने से कतराते हैं। पिछले 4 साल में टीबी के मरीजों का सही इलाज नहीं होने से मल्टी ड्रग रजिस्ट्रेशन एमडीआर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी है।इसे लेकर सेहत विभाग की कार्रवाही निजी डॉक्टरों से पत्राचार में सिमट कर रह गई है, वही आईएमए पंजाब टीबी प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर नहीं है।ऐसे में केंद्र सरकार ने 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने के लिए कड़ा रुख अपनाया है। टीबी के मरीजों को छुपाने वाले निजी डॉक्टर, दवा विक्रेता तथा सरकारी तंत्र के जुड़े स्टाफ को जेल भेजने का आदेश जारी किया गया है। वही जो व्यक्ति टीबी मरीजों को सेहत विभाग तक पहुचाएगा उन्हें 1000 रुपयेप्रोत्साहन राशि के रूप में दी जाएगी।उधर राज्य में एक्सटेस्वली ड्रग रजिस्टेस (एक्सडीआर) टीबी के मरीज भी रिपोर्ट होने लगे हैं। स्टेट टीबी अधिकारी डॉक्टर नरेश कुमार का कहना है कि केंद्र सरकार ने टीबी की बीमारी को नोटिफाइड करने के बाद मरीजों का पंजीकरण ना करवाने वालों पर शिकंजा कस लिया है।टीबी मरीज की जानकारी सेहत विभाग को ना देने वाले निजी व सरकारी डॉक्टर से दवा विक्रेताओं के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाएगा।केंद्र सरकार ने इस बाबत अधिसूचना जारी कर दी है।इसे आईपीसी की धारा 269 व 270 के तहत गैर जमानती दंडनीय अपराध घोषित किया है।इसके तहत आईपीसी की धारा 269 के तहत 6 महीने तथा धारा 270 के तहत 2 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है।डा.नरेश ने बताया कि मरीज इलाज अधर में छोड़ने से एमडीआर की श्रेणी में शिफ्ट हो जाते हैं, जो लोगों के लिए खतरनाक साबित होते हैं।उधर, एफडीए कमिश्नर की ओर से राज्य के दवा विक्रेताओ को भी आदेश जारी किए गए हैं कि वों उनके पास दवा लेने के लिए आने वाले मरीज की पूरी जानकारी व किस डॉक्टर की सलाह से दवा की रही की जानकारी विभाग को देने की हिदायते जारी की गई है।आइएमए व दवा विक्रेता एसोसिएशनो को इस बारे सूचित किया जा रहा है।इसके बाद विभाग सख्ती का रुख अख्तियार करेगा। हालांकि जिला स्तर पर मरीजों के पंजीकरण करवाने की रफ्तार बढ़ने लगी है।