टी बी से मिलेगा छुटकारा

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टी बी की बीमारी का मुख्य कारण माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु है यह लोगों के शरीर में निष्क्रिय अवस्था में हफ्तों से महीने तक जीवित रह सकता है अगर किसी मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो ऐसी स्थिति में यह व्यक्ति या उस व्यक्ति को ट्यूबरक्लोसिस से ग्रस्त कर देता है जब भी कोई मरीज फेफड़े की टीबी की बीमारी से पीड़ित होता है तो हंस ले जा सीखते समय यह जीवाणु हवा में फैलने लगते हैं और सामने वाले व्यक्ति के शरीर में सात बारा फेफड़े के अंदर चले जाते हैं कभी-कभी जीवाणु फेफरे मेरा शरीर के अन्य भागों में निष्क्रिय रहते हैं जब कभी कभी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो उस व्यक्ति ने TV पैदा कर सकते हैं टीबी के प्रकार अधिकतर मरीजों में टीबी के जीवाणु फेफरे को प्रभावित करते हैं इस कारण फेफड़े की टीबी की बीमारी हो जाती है 20 से 25% लोगों में जय जीवाणु शरीर के किसी भी भाग को प्रभावित कर सकते हैं खासकर आंत और हड्डी को फेफड़े की टीबी के लक्षण दो हफ्तों से ज्यादा वक्त तक खांसी आना खांसी में बलगम में खून आना लंबे समय तक बुखार रहना सीने में दर्द होना वजन में कमी होना जांच के बाद इलाज मरीजों में डॉक्टर मरीज का निरीक्षण करके और उनके लक्षण जानकर बीमारी का अंदाजा लगा देते हैं लेकिन बीमारी का पता करने के लिए मुख्य तौर पर फेफड़े का एक्सरे बलगम की जांच पेट का अल्ट्रासाउंड और गले की गांठ को की जांच की जाती है सामान्य तौर पर टीवी की बीमारी शेर से 9 महीने से सही दवाओं के इस्तेमाल से ठीक हो जाती है मरीज को यह सलाह दी जाती है कि दवाओं का प्रयोग नियमित तौर पर करें दवाओं को निर्धारित अवधि से पहले छोड़ देने से दवाई प्रभावहीन हो जाती हैं और जीवाणु इन दवाओं के लिए प्रतिरोधक क्षमता बना लेते हैं जब आए तब तक जारी रखें जब तक दक्षिण करके इन्हें बंद करने की अनुमति दें रीढ़ की हड्डी की टीवी TV तो फेफड़े से जुड़ी बीमारी है वास्तव में अधिकतर लोग आज tv हो मात्र फेफड़े से जुड़ी बीमारी ही समझते हैं इसका यह मतलब है प्लीज रीड की हड्डियों में टीबी होने के बारे में तो काम जागरूक हैं क्या है लक्षण कई सप्ताह से पीठ में भयंकर दर्द होना बुखार आना रात में पसीना आना भूख ना लगना भजन का गाना हाथ पैरों में काफी दर्द और जलन महसूस होना उठने-बैठने और चलने में भी तकलीफ होना यह है जांच रीड की हड्डी की टीबी की जांच के लिए सीटी स्कैन एमआरआई ट्यूबरक्लोसिस स्क्रीन टेस्ट कराया जाता है माइकोबैक्टीरियम नामक जीवाणु का फोटो डिफॉर्मिटी नामक समस्या को उत्पन्न कर सकते हैं रीड की हड्डी की टीबी फेफड़े की टीबी के बगैर भी हो सकती है रक्त जांच के जरिए TV का जीवाणु वर्टिब्रल जा इंटर वर्टिब्रल डिस्क को संक्रमित कर देता है इलाज रीढ़ की हड्डी में टीबी की बीमारी का इलाज कीमोथैरेपी से किया जाता है इस थेरेपी की सुविधा अधिकतर सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में उपलब्ध है नेशनल ट्यूबरक्लोसिस कंट्रोल प्रोग्राम के अंतर्गत लिए थेरेपी निशुल्क उपलब्ध है आधुनिक शेती इन दिनों रीड की हड्डी की टीबी का इलाज नहीं किया जाता है बीमारी को कम समय में काबू पाने में मदद मिलती है और एमडीआर टीबी होने की संभावनाएं खत्म हो जाती है घर आने के बाद ऑपरेशन की जरूरत अगर रीड की हड्डी के आंतरिक भाग में बहुत ज्यादा मस्ती भरा है जो नसों को दबा रहा है तो ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को लकवा लगने का खतरा बढ़ जाता है मेडिकल साइंस के अनुसार TV लाइलाज रोग नहीं है लेकिन रोगी द्वारा नियमित रूप से दवा ना लेने के कारण अब इस समय में भारत समेत दुनिया भर में एमडीआर और X दिया TV के रूप में एक नई समस्या समस्या उत्पन्न कर दी है दुनियाभर में प्रति सेकंड एक व्यक्ति समाज से संक्रमित होता है हालांकि रोग को नियंत्रित किया जा सकता है

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