दिशा बदले दशा

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दिशा बदले दशा क्या आपको पता है की सही दिशा मैं वस्तु रखने से और खिड़की द्वार शौचालय आदि बनवाने का जीवन पर अच्छा असर पड़ता है वास्तु शास्त्र घर प्रसाद भवन अथवा मंदिर निर्माण का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरूप माना जा सकता है पूर्व दिशा वास्तु शास्त्र में यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है क्योंकि यह सूर्य के उदय होने की दशा है इस दिशा के स्वामी देवता इंद्र भगवान बनाते समय इस दिशा को सबसे अधिक खुला रखना चाहिए इस दिशा में वास्तु दोष होने पर घर भवन में रहने वाले लोग बीमार रहते हैं आग्नेय दिशा पूर्व और दक्षिण के मध्य की दिशा को आगे ने नशा कहते हैं इस दिशा के स्वामी हैं इस दिशा में वास्तु दोष होने पर घर का वातावरण अशांत और तनावपूर्ण रहता है धन की हानि होती है इस दिशा में रसोई घर बनाना वास्तु की दृष्टि से श्रेष्ठ होता है दक्षिण दिशा इस दिशा के स्वामी यम है यह दिशा वास्तु शास्त्र में सुख और समृद्धि की प्रतीक है इस दिशा को खाली नहीं रखना चाहिए दक्षिण दिशा में वास्तु दोष होने पर मान सम्मान में कमी रोजी रोजगार में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है ग्रह स्वामी के निवेश के लिए यह साल तक उपयुक्त होती है नयनतारा दक्षिण और पश्चिम के मध्य की दिशा को नेतृत्व दिशा कहते हैं इस दिशा का वास्तु दोष आचरण एवं व्यक्ति को दूषित करता है इस दिशा का स्वामी राक्षस है यह दिशा वास्तु दोष से मुक्ति होने पर भवन में रहने वाला व्यक्ति सेहतमंद रहता है और उसके मान-सम्मान में वृद्धि होती है ईशान दिशा ईशान दिशा के स्वामी शिव होते हैं इस दिशा में कभी भी शौचालय नहीं बनाना चाहिए लाल कुआं आदि इस दिशा में बनाने से प्रचुर मात्रा में होता है सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की और रखें अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकड़े रखें सेहत ठीक रहेगी एक रुपए का सिक्का रात को सजाने के नीचे रखकर सोने और सुबह उठकर उससे शमशान के आसपास व्यक्ति रोग से शीघ्र मुक्ति मिल जाएगी

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