जीने का सही सलीका

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अहिंसा का पाठ आज के दौर में छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग हिंसक व्यवहार पर आमादा हो जाते हैं उनमें जरा भी धैर्य नहीं है यह आदत पूरे देश और समाज के लिए बहुत नुकसानदेह है अहिंसा के रास्ते पर चलकर हम बड़ी से बड़ी लड़ाई जीत सकते हैं गांधी जी का जीवन इस बात का उदाहरण है दक्षिण अफ्रीका में जब उन्हें पहली बार रंगभेद का सामना करना पड़ा था अब उनके सामने वकालत की प्रैक्टिस छोड़कर भारत लौटने का आसान विकल्प भी मौजूद था उन्होंने ऐसा नहीं किया मैं पूरे धैर्य के साथ डटे रहे और वहां उन्होंने अहिंसक तरीके से रंगभेद विरोधी आंदोलन की शुरुआत की उसके बाद भारत में भी होने अंग्रेजो के खिलाफ प्रज्ञा और असहयोग आंदोलन का रास्ता अपनाया सादगी में सुंदरता आज के दौर में लोगों के बीच धन वैभव के प्रदर्शन की ओर सी लगी रहती है यह सोच कर मुझे बहुत दुख होता है कि सिर्फ दिखावे के लिए विवाह और जन्मदिन जैसे अवसरों पर लोग लाखों रुपए खर्च कर देते हैं हालांकि अच्छी बात यह है कि अब लोग सादगी की अहमियत को समझने लगे हैं हाल ही में मुझे एक सादगी पूर्ण विवाह में शामिल होने का अवसर मिला यहां समारोह के लिए खर्च होने वाली राशि को विचार कर उस परिवार ने आसपास रहने वाले जरूरतमंदों के लिए कमरे बनवा दिए गांधीजी लोगों को सादा जीवन उच्च विचार अपनाने की सलाह देते थे आज के दौर में लोग उनकी इसी को बोलते जा रहे हैं यहां तक के सादगी के मामले में भी लोग दिखावा करते हैं साल में एक दिन खाली पहन कर दूसरों के सामने अपनी सादगी पूर्ण सभी प्रस्तुत करना व्यर्थ है सरलता व्यक्ति के विचार खान-पान और पहनावे में जवाब के रूप में चाहिए उनका मानना था कि बिना मेहनत के भोजन करना पाप है अब हम शारीरिक श्रम की अहमियत को बोलते जा रहे हैं पहले लोग अधिकतर घरेलू कार्य करते थे इसी वजह से वह शरीर एक मानसिक रूप से स्वस्थ रहते थे स्वच्छता हो हर जगह अपने आसपास के वातावरण को साफ सुथरा बनाए रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है इसके लिए सरकार को दोषी ठहराना गलत है सार्वजनिक स्थलों पर घोड़ा ना फेंकना पब्लिक टॉयलेट का सही ढंग से इस्तेमाल बच्चों में शुरू से ही सफाई की आदत विकसित करना बहुत जरूरी है अगर हर व्यक्ति समझता को अपनी आदत में शामिल कर लोगों को पूरा देश सबसे सुंदर बना रहेगा गांधी जी ने वर्षों पहले स्वयं टॉयलेट साफ करके लोगों को स्वच्छता का पहला सबक दिया था वह स्वच्छता केवल बाहरी वातावरण तक ही सीमित नहीं है बल्कि हमारे विचारों में भी पवित्रता होनी चाहिए अगर हम गांधीवादी दर्शन को आशीष रूप से भी अपनाने की कोशिश करें तो इससे हर स्तर पर हमारे जीवन का उठान होगा सच्चाई का सबक वर्षों पहले गांधी जी ने सच्चाई के रास्ते पर चलने का जो सबक दिया था अब लोग उसे भूलने लगे हैं अपने मतलब के लिए कोई व्यक्ति भले ही दूसरों से झूठ बोले पर उसकी अंतरात्मा उसे ऐसा करने की इजाजत नहीं देगी सुनने वाला भले ही उसे झूठ को पकड़ ना पाए पर ऐसा करने पर उसे खुद ग्लानि होती हैं अपनी ही नजरों में गिर जाता है

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