अपने अपने वोट से कर लो चोट

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अपने अपने वोट से कर लो चोट
अपने अपने वोट से कर लो चोट

चुनाव के दिन वरिष्ठ स्तम्भकार मनोज सिंह जी की महत्वपूर्ण  टिप्पणी …

गर्मी में क्या स्वेटर-जैकेट पहनते हो  ? नहीं !
और अगर पहन कर निकलोगे तो बच्चे  भी हंसेगें  !
जब युद्ध चल रहा हो तो कोई शांति-पाठ करे या करने का कहे या फिर किताबी ज्ञान की बात करे , तो वो सिर्फ ढोंगी नहीं है बल्कि रोगी भी है !

और फिर आप  किस सनातन ज्ञान की  बात करते हो ?
आपका वो  ज्ञान आधा अधूरा है !
वेद में ऐसे अनेक उदाहरण है जहां  ऋषि के राजा के साथ युद्ध मैदान में जाने का वर्णन है !
दाशराज्ञ युद्ध में  ऋषि वशिष्ठ राजा सुदास  के युद्ध -सलाहकार बनकर गए थे ! इतिहास में इतना पीछे जाने की जरूरत नहीं है, महाभारत में द्रोणाचार्य कौरवों  के साथ कुरुक्षेत्र  में थे , ना कि  आश्रम में बैठकर कोई शांति पाठ कर रहे थे !

असल में  इस गांधी-ज्ञान ने हमे कहीं का नहीं छोड़ा !
ऊपर से  हमारे सामने समस्या बड़ी विकट है, और वो यह है कि  एक तरफ अब्रहामिक रिलिजन शांति काल में भी युद्धरत रहता है और एक हम हैं कि युद्धकाल में भी शांति-पाठ अर्थात ज्ञान की बात करते हैं !
और इसलिए हमारा अस्तित्व सिकुड़ता जा रहा है !

ये ज्ञान की बात चुनाव  के बाद कर लेना , अभी काम की बात कर लो !

आज  हम भोपाल वालो से निवेदन करें  कि अधिक से अधिक वोट करके हिन्दू-विरोधियों को इतनी बुरी तरह हरायें   कि भविष्य में सनातन के विरुद्ध षड्यंत्र करने से पहले कोई दस बार सोचे !

आज दिल्ल्ले वालो से  आग्रह करें  कि एक अर्बन नक्सल और उसको पैदा करने वाले षड्यंत्रकारी वंशवादी परिवार को सबक सिखाएं !

आज कोलकत्ता के भद्रजन को प्रेरित करें कि एक तानाशाह के  विरुद्ध उठखड़े हों !
आज  यह सब नहीं करोगे तो कल साध्वी की तरह झूठे  जेल में डाल  दिए जाओगे या फिर बंगाल में जय श्रीराम कहने योग्य भी नहीं रह जाओगे !

युद्धकाल  में यज्ञ (ज्ञान ) की बात करने वालों , यह जान लो कि युद्ध भी यज्ञ है ,
और हर युद्ध के अपने हथियार होते हैं , जिसे फिर उन हथियारों से ही जीता जा सकता है !
जैसे इस चुनावी  युद्ध का हथियार होता है वोट !
तो आज  अपने अपने वोट से  चोट करो !

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