एक पुण्य का काम है पानी को बचाना

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पानी जीवन का अधार है| इस के बिना मनुष्य और जीव जन्तु जीवत नही रह सकते| कुदरत ने हमारे अन्तरिक्ष में अलग-अलग रूपों में जल भंडार स्थापित किया हुआ है| जिस में 97.41 पानी सागरों में है जो खारा है जो पीने योग्य और इस्तेमाल करने योग्य नही है| इसी लिए पीने के लिए शुद्ध पानी मात्र 2.59 फीसदी है जिस में जमीन के नीचे पानी मात्र 0.01 फीसदी उपलब्द है और बाकी का पानी धरती के ध्रुवो पर बर्फ के रूप में जमा पाया जाता है जिस का इस्तेमाल इतनी आसानी से नही हो सकता| जल भंडार के इन अलग अलग रूपों में संतुलित करने के लिए कुदरत का चलने वाला चक्र चल रहा है| साफ़/शुद्ध पानी का विशेष गुण है कि जहा यह उत्पति का जीवन दाता और पालनहार है, वहा यह अंदर और बाहर की मैल निकालता भी है| जिस को टाला नही जा सकता| इस की जरूरत को पुरा करने के लिए पानी की सही इस्तेमाल करने से पानी का पद्र नीचे नही आता जितना पानी के दुरूपयोग से होता है| कई लोग पानी के नल को खुला छोड़ देते है जो बड़ी लापरवाही है| धार्मिक स्थानों की साफ़ सफाई के लिए पानी का दुरूपयोग होता है| इस लापरवाही के कारण काफी साफ़/शुद्ध पानी नाजायज वहि जाता है| किसान फसलो की सिंचाई के लिए पानी का दुरूपयोग करते है| फसलो की सिंचाई के लिए पानी का नियमत रूप से ही इस्तेमाल करना चाहिये| इमारतो को बनाने के लिए पानी का इस्तेमाल काफी होता है| व्हीकलो की साफ़ सफाई के लिए कई लोग पानी का प्रयोग बड़ी लापरवाही से करते है| बारिश के पानी को स्टोर करके उसे अनेक कामो के इस्तेमाल किया जा सकता है|

 

 

 

 

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