पेट्रोल की बढ़ती कीमतों के निशाने पर आए पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्ति पा ली कि वह जीएसटी काउंसिल में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के घेरे में ले जाने की अपील करेंगे पर माहिरों का मानना है कि इसके बारे में तुरंत कोई भी फैसला लेना मुश्किल है| भुतपूर्व पेट्रोलियम सचिव एस सी त्रिपाठी मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार की आमदन का एक बड़ा हिस्सा पेट्रोल की कीमतों पर निर्भर करता है, इसलिए पेट्रोल को जीएसटी घेरे के नीचे लेकर आना आसान काम नहीं है। आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार पिछले 3 सालों से पेट्रोल के जरिए तकरीबन डेढ़ लाख करोड़ रुपए की ज्यादा आमदनी कमा रही है। जो कि पिछली यूपीए सरकार से कहीं ज्यादा है | भारत में पेट्रोल की खपतकार को अदा करने वाली कीमत 69. 26 रुपए है । जिस पर कच्चे तेल की लागत सिर्फ 26.65 रुपए है जबकि डीलर को इसके लिए 30.70 रुपए अदा करने पड़ते हैं| इस कीमत पर तकरीबन 12 फ़ीसदी कमीशन डीलर को मिलता है जबकि खपतकार को इसकी 27 फ़ीसदी वेट और 80 फीसदी (तकरीबन 21.48 रुपए प्रति लीटर मह्शूल) अदा करनी पड़ती है। विश्व के हर एक देशो के मुकाबले भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें काफी ज्यादा है जहां पाकिस्तान में पेट्रोल की कीमत 42.14 रुपए और इंडोनेशिया में 40.58 रुपए है । भारत में खपतकर को प्रति लीटर पेट्रोल के लिए 69.26 रुपए देने पड़ते हैं जबकि पेट्रोल को जीएसटी की सबसे ज्यादा टैक्स दर 28 फीसदी से कम लाया जाया जाए ताकि पेट्रोल की कीमत 41 रुपए तक ही देनी पड़ेगी| माहिरों का मानना है कि जब तक जनता की ओर से दबाव बनाकर एक मुहिम का रूप धारण नही कर लेता तब तक पेट्रोल की कीमतों पर काबू पाना मुश्किल है|