अनुसूचित जनजाति (ST) की रानी कमलापति जिसे मोहम्मद खान से अपनी इज्जत बचाने के लिए जल जौहर करना पड़ा।भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम अब बदलकर रानी कमलापति रेलवे स्टेशन रख दिया गया है ।आक्रमणकारियों के नाम हटाकर मालवा की एक बेहद लोकप्रिय रानी के नाम को आगे बढ़ाने के लिए शिवराज सरकार और मोदी सरकार का बहुत बहुत आभार सभी राष्ट्रभक्तों को बहुत बहुत बधाई।आखिर कौन थी रानी कमलापति ? जिसकी प्रतिमा भोपाल में लगाई गई है रानी की प्रतिमा इतनी सुंदर है तो रानी कितनी सुंदर रही होगी।रानी कमलापति का सौंदर्य इतिहास में प्रसिद्ध है भोपाल में एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है जो रानी के सौंदर्य पर ही प्रसिद्ध हो गई।
ताल तो भोपाल ताल बाकी सब तलैया
रानी तो कमलापति और सब रनैयां
इसका मतलब है अगर कोई तालाब है तो वो भोपाल है बाकी सब तलैया है और अगर कोई रानी है तो वो कमलापति है बाकी सब रनैया-वास्तव में रानी का सौंदर्य ही उसका सबसे बड़ा शत्रु बन गया था ।रानी कमलापति के पिता का नाम था चौधरी कृपाराम ये करीब 1720 ईस्वी का समय है।यानी आज से लगभग 300 साल पहले. आज जिसे आप भोपाल शहर कहते हैं ये तब एक छोटा सा गांव था।जिसका नाम राजा भोज के नाम पर पड़ा था भोपाल को नवाबों का शहर कहकर हिंदुओं को मूर्ख बनाया गया दरअसल ये राजा भोजपाल के नाम से ही भोपाल कहा जाने लगा राजा भोज सिर्फ एक शूरवीर पराक्रमी सम्राट ही नहीं बल्कि एक विचारक और लेखक भी थे और उन्होंने 12 अत्यंत प्रसिद्ध ग्रंथ लिखे हैं ।ऐसे बहुआयामी व्यक्तित्व वाले राजा यदा कदा ही पृथ्वी पर जन्म लेते हैं ।इसी भोपाल के पास एक रियासत थी जिसका नाम था गिन्नौर इस गिन्नौर पर गोंड राजवंश का शासन था । गोंड एक जनजाति यानी अनुसूचित जनजाति है जिसे संविधान में शीड्यूल ट्राइब कहा जाता है अब यहां नोट करने वाली बात ये है कि जब ST लोग राजा थे तब ये SC और ST का शोषण हुआ ये प्रोपागेंडा किसने चलाया ? खैर आगे रानी के इतिहास पर आते हैं- गिन्नौर का गोंड राजवंश एक हिंदू राजवंश था 1720 के आसपास गोंड राजवंशी निजाम शाह का शासक था निजाम शाह एक हिंदू राजा ही थे,लेकिन जब औरंगजेब का राज आया तो उसने देश के सभी छोटे छोटे राजाओं को जबरन मुसलमान बनने के लिए कहा, डर के मारे बहुत सारे हिंदू राजाओं ने अपने नाम मुस्लिम रख लिए थे लेकिन उनका पूरा जीवन और रहन सहन हिंदू की तरह ही था । निजाम शाह की सातवीं पत्नी बनीं रानी कमलापति।निजाम शाह और रानी कमलापति के एक बेटा हुआ जिसका नाम नवल शाह रखा गया । नवल शाह हिंदू नाम है ।दरअसल 1707 ईस्वी में आतातायी औरंगजेब की मृत्यु के बाद जब मुगल सत्ता कमजोर पड़ी तो दोबारा हिंदू राजाओं ने अपने बच्चों के नाम हिंदू रखने शुरू कर दिए थे।जब नवल शाह की उम्र करीब 8 साल थी तभी निजाम शाह और रानी कमलापति को बाड़ी रियासत के जमींदार आलम शाह ने दावत पर बुलाया । दरअसल ये आलम शाह भी हिंदू ही था और निजाम शाह का भतीजा था।इसने भी औरंगजेब के डर से अपना हिंदू नाम रखा ही नहीं । आलम शाह की बुरी नजर रानी कमलापति पर थी और उसने धोखे से जहर मिलाकर निजाम शाह को खिला दिया और हत्या कर दी । फौरन बाद किसी तरह रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह को लेकर जान बचाकर भाग सकी ।रानी कमलापति को अपने पति की हत्या बदला लेना था । उस वक्त पास ही में एक और जगह थी जिसका नाम था बसरिया। वहां पर एक अफगान सेनापति था जिसका नाम था दोस्त मोहम्मत खान । दोस्त मोहम्मद खान को औरंगजेब ने मालवा में अपना अधिकार जमाने के लिए नियुक्त किया था । लेकिन औरंगजेब की मृत्यु के बाद दोस्त मोहम्मद खान निरंकुश हो गया और वो इलाके के तमाम राजाओं को किराये पर अपनी सैनिक सुविधाएं देने लगा वो अफगानिस्तान का पश्तून यानी पठान था और उसने अफगानिस्तान से अपने और साथियों को भी लड़ने के लिए बुलाकर लुटेरों की ठीक ठाक सेना तैयार कर ली थी (सोचिए क्या किस्मत थी हिंदुस्तान की कैसे विदेशियों ने यहां लोगों की छाती पर मूंग दले और लोग बैठे रहे हाथ पर हाथ धरे। राष्ट्रवाद नाम की चीज अगर तब होती तो क्या हिंदुस्तान का ये हाल होता ?)खैर रानी कमलापति ने दोस्त मुहम्मद खान को बुलाया और उसे बाड़ी के राजा आलम शाह पर हमला करने के लिए कहा और इसके बदले 1 लाख रुपए देने का प्रस्ताव रखा । दोस्त मोहम्मद खान ने प्रस्ताव को मान लिया । किवदंतियां हैं कि रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान को अपनी राखी भी भेजी और भाई का रिश्ता बनाया । लेकिन यहीं पर उसने बहुत बड़ी भूल कर दी वो ये बात नहीं समझ सकीं कि इस कम्युनिटी में भाई-बहन के बीच भी निकाह पढ़ा जाता है ! यानी उन्होंने जिसे अपना भाई माना बाद में उसने ही उन पर नजर गड़ा दी। इसके बाद दोस्त मोहम्मद खान की मदद से रानी कमलापति ने बाडी के राजा आलम शाह को हरा दिया और अपना बदला पूरा किया । दोस्त मोहम्मद खान ने रानी कमलापति से एक लाख रुपए मांगे रानी कमलापति के पास तब एक लाख रुपए नहीं थे इसलिए रानी ने दोस्त मोहम्मद खान को अपनी रियासत का एक गांव भोपाल एक लाख रुपए के वेतन के बदले दे दिया,लेकिन दोस्त मोहम्मद खान की नजर कमलापति के सौंदर्य पर गड़ चुकी थी और वो किसी भी तरह रानी कमलापति को पाना चाहता था । दोस्त मोहम्मद खान ने पहले कमलापति को धर्मपरिवर्तन और निकाह का प्रस्ताव रखा जिसे कमलापति ने इन्कार कर दिया इसके बाद दोस्त मोहम्मद खान ने रानी कमलापति पर ही हमला बोल दिया और भोपाल में मौजूद लाल घाटी नामक जगह पर भीषण संग्राम हुआ।रानी कमलापति की सेना छोटी थी और वो हार गई। एक एक गोंड सैनिक और अनुसूचित जनजाति के धुरंधरों. वीरों और तमाम हिंदू सैनिकों ने अपनी जान की बाजी लगा दी और रानी के सम्मान के लिए अपनी खून की आखिरी बूंद भी बहा दी -आखिर दोस्त मोहम्मद खान विजयी हुआ और वह रानी कमलापति के महल की तरफ दौड़ा ।उसके मन में वही उत्साह था जो हर जिहादी के मन में होता है।पहला माल और दूसरा माल-ए-गनीमत माल मतलब सोना चांद और माल--ए-गनीमत यानी सुंदर औरतों को यौन दासी बनाकर रखना। उस वक्त रानी कमलापति के लिए सबसे बड़ा प्रश्न था अपने सतित्व की रक्षा करना । रानी कमलापति जिस महल में रहती थीं वो सात मंजिला महल था इसका कुछ हिस्सा कभी राजा भोज के द्वारा बनवाया गया था और बाकी हिस्सा बाद में रानी के स्वर्गीय पति ने बनवाया था । रानी कमलापति ने जल जौहर करने का निश्चय किया।उस महल के पास ही एक नदी बहती थी और आज भी बहती है उस नदी पर बांध बनाकर उस महल के पास एक तालाब बनवाया गया था । रानी कमलापति के आदेश पर उस बांध को तोड़ दिया गया... ताकी रानी कमलापति जल जौहर कर सकें और अपने सतीत्व की सुरक्षा कर सकें।रानी कमलापति के महल की तरफ पानी दौड़ा और रानी कमलापति चुपचाप अपने भवन में बैठी रहीं ।आखिर पानी आया और वहीं पर रानी कमलापति ने जलसमाधि ले ली ।इस तरह एक वीरांगना ने अपने सतित्व की रक्षा में अपने प्राणों का त्याग कर दिया । इतना बड़ा इतिहास हिंदुओं से छुपाया गया और भोपाल के हत्यारे नवाबों के महिमा मंडन के लिए भोपाल के रेलवे स्टेशन का नाम हबीबगंज रख दिया गया । अब मोदी और शिवराज के राज में रानी कमलापति को सम्मान मिला है और लोगों को रानी कमलापति के बारे में जानकारी मिली है बहुत बहुत धन्यवाद मोदी और शिवराज जी का ।आखिर में सबसे बड़ी बात आज यादव लोग मुसलमानों के साथ खड़े हो रहे हैं उनको ये पता होना चाहिए कि इतिहास में यादव राजवंश की सबसे बडा साम्राज्य देवगिरी का सम्राज्य खत्म करने वाला और वहां की यादव रानियों को यौन दासी बनाने वाला बादशाह अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का सुल्तान था।और इसी तरह आज भी कुछ ST हैं जो कि प्रोपागेंडा में फंसकर हिंदुओं को गाली देते हैं। वो भी जान लें कि उनकी रानी कमलापति की इज्जत लूटने की मंशा भी किसने बनाई थी ? दोस्त मोहम्मद खान ने जो कि एक मुसलमान था। इसलिए समझने वाली बात ये है कि जिहाद को समझ लो तो अच्छा वरना ना रहेगा हिंदुस्तान ना बचेगा आरक्षण।जब गजवा ए हिंद हो जाएगा तो रोते रहना सुबक सुबक कर।