कैसे प्रकृतिक आहार से रहें स्वस्थ

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कैसे प्रकृतिक आहार से रहें स्वस्थ शुद्ध पोषक और ताजा भोजन
कैसे प्रकृतिक आहार से रहें स्वस्थ शुद्ध पोषक और ताजा भोजन

कैसे रहे प्रकृति आहार  से स्वस्थ

चिकित्सा विज्ञान की प्रगति के कारण अतीत में असाध्य माने जाने वाली रोगों का इलाज भले ही काफी हद तक अब संभव हो गया हो लेकिन यदि आप अपने आहार-विहार पर ध्यान रखें और उसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर ले तो आप अस्पताल जाए बगैर स्वास्थ्य बने रह सकते हैं।

शुद्ध पोषक और ताजा भोजन आपके शरीर के लिए आवश्यक तत्वों को उपलब्ध कराता है और इसके साथ ही वह आपको निरोगी और तेजस्वी भी बनाता है।एक कहावत भी है-जैसा खाओं अन्न वैसा बने मन।

आहार की सतिवकता के महत्व को तमाम विद्वानों ने माना है।गौरतलब है कि मांसाहारी भोजन में फाइबर नहीं होता जो पाचन के लिए आवश्यक है।ऐसा कोई भी पदार्थ खाने योग्य नहीं है जिसमें चोकर जा फिर रेशा ना हो, लेकिन प्रदूषण फलों को पकाने जाने के कारण अब फलों के बीज छिलके उतारकर खाएं जाने का चलन बढ़ रहा है जबकि फलों और सब्जियों के छिलके में गुदे की तुलना में 5 गुना  अधिक पौष्टिक तत्व होते हैं।

 

भोजन की पौष्टिकता का अर्थ है- विटामिन और खनिज-तत्व जो प्राय फलों सब्जियों अनाजों और दालों के छिलके में ही पाए जाते हैं।विटामिन और खनिज तत्व रहते चीनी हमारे शरीर को केवल कैलोरी देती है, पौष्टिकता नहीं।

प्रति ग्राम चीनी में 9 कैलोरी भले मिलती हो, लेकिन चीनी में विटामिन बी कंपलेक्स कम हो जाता है जो अपज का मुख्य कारण है।इसलिए गांधीजी कहते थे कि मीठा आहार बिल्कुल बंद कर देना चाहिए।रक्त में शुगर की मात्रा सामान्य बनाए रखने के लिए चीनी की जगह देसी गुड, खजूर किशमिश, मुनक्का, अंगूर, केला, आम, गन्ने का रस और शहद आदि का प्रयोग किया जा सकता है। हमारे शरीर को हर प्रक्रिया के लिए कार्बोहाइड्रेट चाहिए।कार्बोहाइड्रेट अनाजों या सब्जियों से मिलते हैं।इसी प्रकार प्रत्येक कोशिका में लगभग 25%  भाग प्रोटीन का होता है।प्रोटीन से ही हमारी कोशिकाओं का रखरखाव होता है और हारमोंस एंजाइम आदि बनते हैं।त्वचा मांसपेशियां और हड्डियां इन सब में प्रोटीन पाया जाता है।मांस मछली अंडे आदि में 20 से 25 प्रतिशत प्रोटीन होता है लेकिन सोयाबीन में 40% प्रोटीन होता है।मांस से प्राप्त प्रोटीन के एसिडिक होने के कारण इसके पचने में ज्यादा वक्त लगता है जबकि  सोयाबीन टोफू और अंकुरित दालें गुणवत्ता में तो बेहतर होती ही है उनका पाचन भी जल्दी हो जाता है।

 

सर्वोत्तम आहार शाकाहार

गांधी जी ने कहा था के यह बात दिमाग से निकाल देनी होगी के शाकाहार के कारण मनुष्य का शरीर और दिमाग कमजोर होता है क्योंकि अनेक धर्म सुधारक शाकाहारी ही थे। वसा भोजन को पचाने में सहायता करती है।वसा से ही प्रत्येक कोशिका का बाहरी आवरण बनता है।पशुओं से प्राप्त वसा में सेंचुरेडेट फैट ज्यादा होती है जबकि वनस्पति से प्राप्त वसा में अनसैचुरेटेड फैट अधिक होता है।सैचुरेटेड फैट का उपयोग न्यूनतम होना चाहिए। बदाम, अखरोट, काजू, मूंगफली, अलसी के बीज तेल आदि में काफी अधिक मात्रा में अनसैचुरेटेड फैट होती है।

 

विटामिन के अच्छे स्रोत

विटामिन शरीर का कई रोगों से बचाव करते हैं।विटामिन से उर्जा तो नहीं मिलती लेकिन ये प्रोटीन और वसा के पाचन में सहयोगी हैं।भोजन को तलने, गरम करने से अधिकांश विटामिन नष्ट हो जाते हैं।कच्ची सब्जियां और फलों में विटामिन पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं।सब्जियां और फल विटामिंस के अच्छे स्रोत हैं।

भोजन में सबसे महत्वपूर्ण चार घटक ये है जिन में कैलोरी नहीं होती जैसे खनिज तत्व।शरीर को कैलशियम, मैग्निशियम, आयरन, फास्फोरस, आयोडीन और जिंक आदि खनिज पदार्थ अधिक मात्रा में चाहिए।किसी भी भोजन को जितना भूना जाता है उसमें पानी की मात्रा उतनी ही कम होती जाती है।इसलिए कुरकुरे खाद्य पदार्थ फास्ट फूड पूरी कचोरी, समोसा, न्यूडल्स आदि हमारे पाचन के लिए ठीक नहीं है।

फाइबर में भी कैलोरी नहीं होती लेकिन इनके बगैर भोजन पचना असंभव है।घुलनशील रेशा भोजन से बनने वाली फैटी एसिड को आपस में जोड़ता है और हमें अधिक खाने से रोकता है, मोटापे से बचाता है।शुगर का सतर नहीं बढ़ने देता और इस कारण जे डायबिटीज की रोकथाम में भी सहायक है।रेशा सबसे ज्यादा सरसों के साग, पालक, हरी पत्तेदार सब्जियों फूलगोभी ब्रोकली गाजर, शलगम, पत्ता गोभी, टमाटर, प्याज, संतरा, सेब, राजमा, साबुत दाल, सभी गद्देदार फलों धनिया और अलसी के बीजों और गेहूं के चोकर में होता है।भोजन में कच्ची सलाद जैसे प्याज गाजर मूली हरी सब्जियां टमाटर आदि शामिल हो तो अच्छा रहता है।

 

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