बच्चों की सेहत के साथ खिलवाड़ है स्कूलों में दोपहर का घटिया खाना

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Playing with the health of children due to poor lunch in government schools
Playing with the health of children due to poor lunch in government schools

पंजाब सरकार की तरफ से कुछ साल पहले तय किए गए मीनू के मुताबिक शहरी  स्कूलों मैं पढ़ने वाले विद्यार्थियों को दोपहर का खाना मुहैया करवाने के लिए निजी व्यक्तियों को ठेका दिया गया था| जबकि ग्रामीण  सरकारी स्कूलों में विधयार्थीओ को दोपहर का खाना परोसने के लिए सरकारी अध्यापकों को जिम्मेवारी सौंपी गई थी| जिसमें सोमवार को दाल रोटी, मंगलवार को खिचड़ी, बुधवार को काले चने और रोटी ,वीरवार को कड़ी चावल ,शुक्रवार को सब्जी रोटी और खीर और शनिवार को दाल और चावल से मीनू को सख्ती  से लागू करवाने की हिदायतें दी गई थी |जिस दौरान ग्रामीण स्कूलों में तो अमली जामा पहनाया जा रहा है पर भरोसे योग सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक शहरी  स्कूलों के लिए नियुक्त किए गए ठेकेदार ,चौधरी अपनी  मनमर्जी अनुसार  बच्चों को खाना खिला रहे हैं और कई सालों से मीनू मुताबिक हर एक शुक्रवार को मिलने वाली खीर बच्चों को नहीं दी गई जब कि स्कूलों की दीवारों पर मोटे मोटे अक्षरों से मिड डे मील मेनू में ही शब्द लिखा हुआ है |जिला अमृतसर के शहरी क्षेत्र में पढ़ते 209 प्राइमरी स्कूलों में विध्या हासिल कर रहे 39 हजार के करीब विद्यार्थियों को परोसे जाने वाले खाने की क्वालिटी इतनी घटिया है कि बच्चे तो दूर वह खाना जीव-जंतु भी नहीं खा सकते आधी छुट्टी के दौरान दिया जाने वाला खाना ठंडा, कच्चा और घटिया मियार के  चावल समेत खाना थालियो  से  विद्यार्थियों के मुंह तक जाने की बजाए सीधे कूड़ेदानों में जाता है |जिसकी जानकारी कई बार अध्यापक शिक्षा विभाग और प्रशासन उच्च अधिकारियों के ध्यान में ला चुके हैं पर अभी तक इसके बारे में कोई भी कार्रवाई नहीं की गई| इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी के साथ बात की तो उन्होंने कहा कि उनके पास अभी तक घटिया तरीके  के खाने और खीर ना मिलने के संबंध में कोई भी शिकायत नहीं मिली पर फिर भी वह इस पर गंभीरता से जांच करवाएंगे|सरकार को इसे गबीरता से लेना होगा

 

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