देसी घी से बीमारियों को दूर करना

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आखोँ की निगाह बढ़ाने के लिए देसी गाय के घी को मिश्री के साथ खाए | होठो के फटे होने पर घी में थोडा नमक मिला कर होठो पर लगा ने से लाभ होता है |  ज्यादातर लोग घी की बात सुनते ही मूंह बना लेटे हैं। अगर माँ फुलके पर या सब्ज़ी में घी दाल भी दें तो नाक-भों चढा कर मोटा होने की चिन्ता करने लगते हैं। पर यकीन मानें, देसी गाय के घी को अमृत कहा गया है जो जवानी को कायम रखते हुए बुढ़ापे को दूर रखता है । ऐसी मान्यता है कि काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है।देसी गाय के घी में ऐसे औषधिय गुण होते हैं जो और किसी चीज़ में नहीं मिलते। यहाँ तक की इसमें ऐसे माइक्रोन्यूट्रींस होते हैं जिनमें कैंसर युक्त तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। और तो और अगर आप धार्मिक नजरिये से देखते हैं तो घी से हवन करने पर लगभग 1 टन ताजे ऑक्सीजन का उत्पादन होता है। यही कारण है कि मंदिरों में गाय के घी का दीपक जलाने तथा धार्मिक समारोहों में यज्ञ करने कि प्रथा प्रचलित है।
देसी गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है। गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है। गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है। घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है। देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता है। वजन भी नही बढ़ता, बल्कि वजन को संतुलित करता है । यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

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