सरकारी अस्पतालों में डेंगू का लार्वा
मच्छर मारने के लिए दावे हुए हवा, डीसी का निर्देश- इस बार डेंगू का मरीज ना हो रिपोर्ट, बारिश ने लार्वा को दी सास
जून की तपती गर्मी पर आसमान से राहत की बूंदे गिरी है।44 डिग्री सेल्सियस तापमान से ‘झुलस” रहे लोगों को गर्मी से कुछ राहत मिली है, पर राहत रूपी यह बूंदे आफत बनने लगी है।गुरु नगरी में पिछले 2 दिनों में हुई बारिश के बाद एडीज व एनाफ्लीज जेसे खतरनाक मच्छरों की उत्पत्ति होने लगी है।इंसानों का खून चूस कर डेंगू और मलेरिया बांटने वाले के मध्य शहर के कोने-कोने में पनप रहे हैं। गुरु नगरी का सबसे बड़ा गुरु नानक देव अस्पताल भी इन मच्छरों की जन्मस्थली और शरणस्थली बन गया है।अस्पताल के भीतर प्रवेश करते ही वर्षा जल से भरा छपपड़ बना है और इसमें एडीज व एनाफ्लीज मच्छर का लार्वा तेजी से पनप रहा है।अस्पताल में वर्षा जल की निकासी का प्रबंध नहीं है। यह पानी कई कई दिनों तक जमा रहता है और फिर मच्छरों की उत्पत्ति का कारण बनता है।इसी तरह सिविल अस्पताल के बाहर भी बारिश का पानी जमा है।इन दोनों चिकित्सा स्थानों में हर रोज हजारों मरीज उपचार करवाने पहुंचते हैं।सैकड़ों ही मरीज दाखिल भी हैं।सवाल यह है कि लोगों को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने वाला स्वास्थ्य विभाग अपना ही घर साफ क्यों नहीं कर रहा।डिप्टी कमिश्नर कमलदीप सिंह सांगा ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम अधिकारियों संघ बैठक का स्पष्ट निर्देश दिए थे इस बार डेंगू का एक मरीज पोस्टिंग नहीं होना चाहिए।डीसी ने यह आदेश इसलिए दिया क्योंकि डेंगू मच्छर ने वर्ष 2016 में जमकर तबाही मचाई थी।तब गुरु नगरी में काफी मरीज रिपोर्ट हुए थे।मलेरिया पॉजिटिव मरीजों की संख्या 51थी।यह आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग का था, जब के निजी अस्पतालों में भारी संख्या में डेंगू और मलेरिया के मरीज मिले थे।2017 में डेंगू मरीजों की संख्या 222, जबकि मलेरिया ने 51 लोगों को निशाना बनाया।
चालान का डंडा भी बेअसर
डेंगू का लार्वा पाए जाने पर 500 रुपये चालान काटने का प्रावधान है।निगम ने स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से पिछले वर्ष 151 चालान काटे।वही इस वर्ष सात चालान काटकर स्वास्थ्य विभाग ने हर फ्राइडे ने ड्राई डे अभिमान भी शुरू किया है।शुक्रवार के दिन लोगों को अपने आवास और कार्यक्षेत्र में जमा पानी निकालने की नसीहत दी गई है।