नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

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नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

महत्वपूर्ण #नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019
एक संक्षिप्त परिचय – ( पढिये जागरुक बनिये और अधिक से अधिक शेयर कीजिये )

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019

1 – नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 को राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद
ने 12 दिसंबर को मंजूरी दे दी। इसके साथ ही अब यह अधिनियम बन
चुका है। इस विधेयक को लोक सभा ने 9 दिसंबर और राज्य सभा ने
11 दिसंबर को अपनी मंजूरी दे दी थी। यह अधिनियम इतिहास के पन्नों
पर स्वर्णाक्षरों से लिखा जायेगा तथा यह धार्मिक प्रताड़ना के पीड़ित
शरणार्थियों को स्थायी राहत देगा।

2- नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में अफगानिस्तान, बांग्लादेश
और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिक
बनाने का प्रावधान है।

3 – इसके उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे शरणार्थियों को जिन्होंने
31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है,
उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष विधायी व्यवस्था
की जरूरत है। अधिनियम में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई
समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से
वंचित न करने की बात कही गई है।

4 – इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की
सभी शर्तों को पूरा करता है, तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने
वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे
व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरुद्ध ‘अवैध प्रवासी’ के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार
नहीं करेगा।

5 – नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 बनने से पहले भारतीय मूल
के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त
अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते थे। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ थे, तो उन्हें उक्त
अधिनियम की धारा 6 के तहत”प्राकृतिकरण” (Naturalization)
द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता था। यह उनको
बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता था।

6 – इसलिए नागरिकता अधिनियम 1955 की तीसरी अनुसूची का संशोधन कर इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को ”प्राकृितकरण”
(Naturalization) द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया गया है।
इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षों के लिए
अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा।

7 – नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्द करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रावधान है।

8 – उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 में संविधान की
छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी
को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा और बंगाल पूर्वी सीमांत
विनियम 1973 की ”आंतरिक रेखा प्रणाली” के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों
को प्रदान किये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखा गया है।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 की मुख्य बातें

9 – नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से आए
हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को
भारत की नागरिकता दी जाएगी।

10 – ऐसे शरणार्थियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक
भारत में प्रवेश कर लिया है, वे भारतीय नागरिकता के लिए सरकार के
पास आवेदन कर सकेंगे।

11 – अभी तक भारतीय नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना अनिवार्य
था। नए अधिनियम में प्रावधान है कि पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यक अगर
पांच साल भी भारत में रहे हों, तो उन्हें नागरिकता दी जा सकती है। यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास
को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी
नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी।

12 – ओसीआई कार्डधारक यदि शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो उनका कार्ड रद्द
करने का अधिकार केंद्र को है, पर उन्हें सुना भी जाएगा।

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