किताबी कीड़ा नहीं लाइफ मास्टर बने

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किताबी कीड़ा नहीं लाइफ मास्टर बने
किताबी कीड़ा नहीं लाइफ मास्टर बने

किताबी कीड़ा नहीं बनाना है लाइफ मास्टर किताबी ज्ञान की बजाय यदि बच्चों को व्यवहारिक शिक्षा दी जाए तो भेजना सिर्फ क्लास में अव्वल आ सकते हैं बल्कि जीवन में भी आगे रह सकते हैं समर हॉलिडे होमवर्क के जरिए स्कूलों ने तो इस दिशा की ओर कदम बढ़ाते हैं इन दिनों चेन्नई के एक स्कूल का होमवर्क असाइनमेंट सोशल साइट्स पर खूब वायरल हो रहा है दरअसल इस स्कूल में गर्मी की छुट्टी का होमवर्क बच्चों को नहीं बल्कि पेरेंट्स को दिया है इससे असाइनमेंट के अंतर्गत उन्हें अपने बच्चों को देश समाज सेवा परिवार किसानों के महत्व और जीवन में कठिन परिश्रम की जरूरत के साथ साथ पैसों का मोल भी बताने के लिए कहा है इस स्कूल की तर्ज पर इस बार दिल्ली मुंबई सहित कई शहरों के स्कूलों ने समर हॉलीडेज होमवर्क का भात बच्चों के सिर से हल्का कर दिया है होमवर्क के जरिए अभिभावकों को किताबी ज्ञान की बजाय व्यवहारिक शिक्षा पर बल देने को कहा गया है धूमेश्वर बोर्डिंग की कमी मैहर के मम्मी पापा दोनों वर्किंग है दोनों के पास मैहर की बात सुनने और उसके साथ समय बिताने के लिए समय नहीं होता है गर्मी की छुट्टी में मेहर सहायिका के साथ रहता है यहां पर TV मोबाइल और दूसरे गेम्स के साथ समय बिताता है अभी कुछ दिनों पहले वे गेमिंग विशाल से पीड़ित हो गया था इस संदर्भ में सीनियर कंसल्टेंट MP निकल साइक्लोजिस्ट ने कहा कि लंबे समय तक गैजेट्स के साथ रहने और फिजिकल एक्टिविटीज ना करने के कारण बच्चे कई तरह के रोगों के शिकार हो रहे हैं दिल्ली के द्वारका इंटरनेशनल स्कूल की प्रिंसिपल अनुराधा गोविंद कहती है वह कामकाजी माता पिता को भौतिक संस्थान तो उपलब्ध करवा देते हैं लेकिन एक दूसरे के लिए कम्युनिकेशन के लिए उनके पास टाइम नहीं होता है इससे बच्चों में इमोशनल बोर्डिंग ट्वेल्थ नहीं हो पाती इसलिए बच्चे अपनी बात अभिभावकों की बजाय दोस्तों के साथ शेयर करते हैं व्यवहारिक ज्ञान को देन बढ़ावा पिछले दिनों एक खबर आई थी कि किसी छोटी सी बच्ची पर भाई बहन के बीच झगड़ा हुआ और भाई ने रसोईघर के चाकू से बहन पर हमला कर दिया दूसरी खबर में किसी बच्चे ने दोस्त पर जानलेवा हमला कर दिया दरअसल समाज में मानव मूल्यों में जबरदस्त गिरावट आ गई है परिवार के सदस्यों यहां तक कि मां पिता के बीच प्रतिस्पर्धा है लोग ना सिर्फ आत्म केंद्रित हो गए हैं बल्कि दूसरों को समुचित प्यार और आदर भी नहीं दे पाते इसलिए आज के समय में घर में बच्चों की लगभग सारी मांगे मान ली जाती हैं इसलिए बाहर समाज में जब उनकी बातों या मांगों को नहीं माना जाता तो भावनात्मक संतुलन के अभाव में भी कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए इस संदर्भ में दीपाली पत्रा कहती हैं इमोशनल बोर्डिंग ट्वेल्थ ना होने के कारण बच्चे दूसरों के प्रति प्रेम दया सहानुभूति जैसे भाव प्रकट करने में अक्षम हो रहे हैं स्कूल शिक्षिका और दो बच्चों की मां इस बात पर जोर देती है कि गुरुकुल के जमाने की तरह बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान अभी दिया जाना चाहिए संयुक्त परिवार की दरकार गर्मी की छुट्टी होने के बावजूद भी कोचिंग क्लासेज में व्यस्त है उसके पास फूल असाइनमेंट इतनी अधिक है कि मुझे भी उसकी मदद करनी पड़ती है व्यवस्था के कारण भी कहीं बाहर घूमने नहीं जाना चाहती उसे लगता है कि अगर वह कहीं जाएगी तो क्लास और कोचिंग दोनों पट जाएगी यह कहना है तो बच्चियों की मां का कुल मिलाकर बड़ी क्लास के बच्चों की स्थिति बह गए हैं ग्रहणी और एक बेटे की मां अपने अनुभव कुछ इस तरह बयां करती है इन दिनों परिवेश पूरी तरह से बदल चुका है पहले संयुक्त परिवार और सामाजिक संरचना के कारण माता-पिता पर कम दबाव रहता था इन दिनों में माहौल में इतना डर भूल चुका है कि बच्चे उन्मुक्त होकर भी फिर नहीं सकते ऐसे में यही लगता है कि अगर परिवार संयुक्त का ढांचा दोबारा से चलन में आए तो बच्चे ना केवल परिवारिक बल्कि सामाजिक जीवन भी तोड़ हो जाएगा मजेदार हॉलिडे होमवर्क होम वर्क प्रेशर के कारण बच्चे अक्सर तनाव में रहते हैं उनके सीने में दर्द की शिकायत रहती है उन्हें होमवर्क पूरा करने में रोज 3000 घंटे समय लगता है जिसके कारण भी अपने परिवार के साथ समय नहीं बिता पाते भले ही हॉलीडे होमवर्क के दबाव से ना सिर्फ बच्चे बल्कि अभिभावक भी तनाव में रहते हैं पर इस साल का भविष्य कुछ बदला सा नजर आ रहा है जिससे वेकेशन असाइनमेंट को पूरा करने में उन्हें मजा आ रहा है हर वर्ष तो छुट्टी का आधा से अधिक समय स्कूल के होमवर्क को पूरा करने में निकल जाता था लेकिन इस बार उसे जो असाइनमेंट मिले हैं वह ना केवल मजेदार है बल्कि ज्ञानवर्धक भी है एक्टिविटीज पर अधिक ध्यान समाज विज्ञानी कहते हैं की छुट्टियों में बच्चों को होमवर्क देने का अब तक जो कंसेप्ट है उसके द्वारा उनके सिलेबस के आधार पर असाइनमेंट दिए जाते रहे हैं ताकि स्कूल का कोर्स पूरा हो सके छुट्टी के दौरान बच्चों का पढ़ाई से नाता बना रहे लेकिन इससे नुकसान यह हुआ है कि बच्चे इंटरनेट से कॉपी करके अपने असाइनमेंट पूरा करने लगे हैं और समय अभाव से जूझ रही मम्मी पापा भी बाजार से प्रोजेक्ट खरीद कर बच्चों को सौंपने लगे बच्चों की एक्टिविटीज पर ध्यान देना चाहिए स्कूल द्वारा बच्चों को छुट्टियों में एक्टिविटीज और एड असाइनमेंट देना चाहिए जिसमें स्विमिंग स्पोर्ट्स आर्ट्स ऐतिहासिक स्थान की यात्रा और उनके बारे में लिखना आधी बातें शामिल करें प्रेरक कहानियों से सीख कई स्कूलों में क्रिएटिव और मजेदार समर वेकेशन असाइनमेंट देने का प्रयास किया गया है इस बात में समझ आती है कि बच्चे अपनी पसंद की एक्टिविटी से ही सीख पाते हैं इसलिए किताबी कीड़ा बनने की बजाय हॉलीडे में किसी ऐतिहासिक स्थल उसके महत्व वहां की रोचक बातें और वहां पर चंद्र लोक कथाओं के बारे में जानकारी कट्ठा करने पर अधिक जोर दिया जाता है हमारे आसपास CG बिखरी पड़ी हैं जिनसे हम सीख पाते हैं महापुरुष जान घर परिवार के सदस्यों के जीवन के प्रेरक कहानियां बच्चों को बहुत कुछ सिखा सकती हैं अच्छी बात यह है कि इस बात को समझते हुए एनसीईआरटी BF छोटे बच्चों को खेल-खेल में यहां विभिन्न एक्टिविटीज के जरिए सिखाने पर जोर दे रही हैं

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