देश को कई दशकों बाद ऐसे सजग सतर्क सशक्त चौकीदार मिले हैं , कृपया पूरा पढ़िए, ध्यान से पढिये।
रविवार को श्रीलंका की चर्चों और पंचतारा होटलों में श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट हुए थे। बम विस्फोटों के कुछ घण्टों बाद पकड़े गए कुछ आतंकियों और उनके मददगारों ने बताया था कि उनका प्रमुख निशाना कोलम्बो स्थित भारतीय उच्चायोग की इमारत भी थी लेकिन वो वहां विस्फोट करने में सफल नहीं हो सके। बम विस्फोटों की जांच कर रहीं श्रीलंका की गुप्तचर एवं जांच एजेंसियों ने उपरोक्त खबर रविवार को हो दे दी थी।
लेकिन वो आतंकवादी भारतीय उच्चायोग में बम विस्फोट करने में सफल क्यों नहीं हो सके इसका रहस्य कल खुला जब श्रीलंकाई एजेंसियों ने स्वीकारा कि भारत ने इन हमलावरों के नाम पते फोन नम्बर और उनके पूरे आतंकी प्लान की योजना श्रीलंका सरकार को लगभग 20 दिन पूर्व ही बता दी थी। दुर्भाग्य से श्रीलंकाई एजेंसियां इन आतंकियों को पकड़ने में सफल नहीं हो पाई थीं। दूसरे देश में भारत अपनी तरफ से कोई कार्रवाई कर नहीं सकता था।
लेकिन अंतरराष्ट्रीय नियमों कानूनों के अनुसार अपने उच्चायोग की रक्षा का अधिकार क्योंकि भारत के पास था इसीलिए भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा इतनी पुख्ता कर दी गयी थी कि श्रीलंकाई नस्ल के इस्लामी आतंकी उसके आसपास फटक भी नहीं पाए।
इसका श्रेय नरेन्द्र मोदी और विशेषकर अजित डोवाल सरीखे देश के चौकीदारों के बजाय क्या रॉबर्ट वाड्रा और राहुल गांधी को दिया जाए.?
आज यह सवाल इसलिए क्योंकि याद करिये कि लम्बे समय से नरेन्द्र मोदी को चोर कहकर भद्दी भद्दी गालियां बक रहे राहुल गांधी से लेकर सड़कछाप कांग्रेसी गुर्गे तक ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल को भी गालियां बकनी शुरू कर दी है। उनके लड़कों को पाकिस्तानी एजेंट घोषित करने का कुकर्म प्रारम्भ कर दिया है। कांग्रेसी टुकड़ों पर पल बढ़ रहे वेबसाइटिया नस्ल के कुछ मीडियाई कुत्तों ने भी अजित डोवल और उनके पुत्रों के खिलाफ भौंकना शुरू कर दिया है।
लेकिन रविवार को श्रीलंका में हुए मौत के महाभयानक ताण्डव तथा भारतीय गुप्तचर एजेंसियों की भूमिका और कोलम्बो में शान के साथ सुरक्षित और शांत खड़ी भारतीय उच्चायोग की इमारत चीख चीख कर कह रहे हैं
कि… आज भारत के पास ऐसे चौकीदार हैं जो केवल भारत ही नहीं बल्कि सीमाओं के पार जाकर भी डटकर-जमकर चौकीदारी कर रहे हैं। केवल 48 घण्टों में विंग कमांडर अभिनन्दन की बिना शर्त वापसी, तथा कुलभूषण जाधव मामले में अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में एड़ियां रगड़ रहा पाकिस्तान, ऐसे ही दो अन्य उदाहरण हैं।
देश को कई दशकों बाद ऐसे सजग सतर्क सशक्त चौकीदार मिले हैं। दोबारा पता नहीं कब मिलेंगे.? अतः इन चौकीदारों को जैसा और जितना समर्थन एवं सहयोग कर सकते हैं वह अवश्य करिये। वरना देश की भावी पीढियां हमारी वर्तमान पीढ़ी को लम्बे समय तक अहसानफरामोशी और कृतघ्नता का दोषी मानती रहेंगी।