परवरिश में माता-पिता दोनों का योगदान होना बहुत जरूरी

0
854
परवरिश में माता-पिता दोनों का योगदान होना बहुत जरूरी क्यूकि
परवरिश में माता-पिता दोनों का योगदान होना बहुत जरूरी क्यूकि

सिंगल मॉम

इतना भी मुश्किल नहीं……

परवरिश में माता-पिता दोनों का योगदान होना बहुत जरूरी है लेकिन कई बार मां को अकेले ही यह दायित्व सभालना पड़ता है।ऐसे में टीनएजर्स की परवरिश में किन बातों का ध्यान रखें

सिंगल मदर के सामने कई चुनौतियां होती हैं।एक और परिवारिक दायित्वो का निर्वाह तो दूसरी ओर आर्थिक जरूरते… ।टीनएजर्स की परवरिश अधिक मुश्किल होती है।इस उम्र में मन और शरीर में कई बदलाव होते हैं और घर से बाहर उनकी दुनिया बनने लगती है।ऐसे में कुछ बातों पर ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।

समझाएं रिश्तो का महत्व

माता पिता का अलगाव बच्चों में उदासीनता पैदा कर सकता है।ऐसे में बच्चे रिश्तो पर जल्दी भरोसा नहीं कर पाते।उन्हें रिश्तेदारों के घर ले जाएं, कजनस के साथ उनकी बोर्डिंग मजबूत करें।वीकेंड पर उन्हें घर बुलाएं या कोई फैमिली ट्रिप प्लान करें।बच्चों को एहसास दिलाएं कि वे दुनिया में अकेले नहीं है।

ब्लैकमेलिंग न सहन करें

बढ़ती उम्र के साथ बच्चों की ख्वाइशें भी बढ़ती है।हो सकता है कि वह ऐसी डिमांड करें जिससे पूरा करना मुश्किल हो।कई बार बच्चे इमोशनल ब्लैकमेल इन करने लगते हैं और मां उनकी नजायज मांगे मानने लगती है।उन्हें प्यार से समझाएं कि उनकी डिमांड कोई नहीं माने जा सकती।उन्हें घर की माली हालत के बारे में अवगत कराना जरूरी है।

समय भी दे उन्हें

सिंगल मॉम को आर्थिक दायित्व पूरे करने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है।इसका मतलब यह नहीं कि घर में समय न दे।टीनजर्स के मन में कई उलझने होती हैं, जिन्हें वे किसी से बांटना चाहते हैं।इसलिए उन्हें पर्याप्त समय दे।वीकेंड पर उन्हें घुमाने ले जाएं, साथ मिलकर एक्सरसाइज करें, इससे सेहत और शेयरिंग बेहतर होगी।

रिश्तो में हो ईमानदारी

कई बार रिश्तेदारों की वजह से भी बच्चे के मन में गलतफहमीया पैदा होती हैं।अगर वे दादा-दादी या पापा से मिल रहे हैं तो हो सकता है कि उनसे कहा जाए कि अलगांव के पीछे उनकी मां का दोष है।बच्चे ऐसी बातों को मन में बैठा लेते हैं।इसलिए उन्हें हर बात ईमानदारी से समझाना जरूरी है।

ओवर प्रोटेक्शन से बचें

चुकि सिंगल मदर के मन में बच्चों को बेहतर भविष्य देने का दबाव होता है, ऐसे में कई बार वह ओवर प्रोटेक्टिव हो जाती हैं।बहुत सी चीजें बच्चा अपने अनुभवों से ही सीखता है।माता पिता मार्गदर्शन कर सकते हैं लेकिन हमेशा उंगली पकड़कर साथ नहीं चल सकते।जब बच्चों के सिर में ओवर प्रोटेक्शन की लेयर हट जाएगी तो वह आत्मविश्वास से भरपूर  इंसान बनेंगे, साथ ही इंडिपेंडेंट भी होंगे।

सख्ती भी बरतें

सिंगल मदर बच्चों से प्यार तो करती है मगर सख्ती बरतते हुए घबराती है।कभी कभी सख्ती भी जरुरी है।अति हर चीज की बुरी है, फिर चाहे वह प्यार हो या अनुशासन, एक सीमा के भीतर ही अच्छा लगता है।

 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here