दशहरे के बाद शुरू हो रहे त्योहारी सीजन पर वस्तु और सेवा कर की स्पष्ट परछाई नजर आ रही है क्योंकि बाजार में इस समय जीएसटी होने के कारण कारोबार में काफी मायूसी पाई जा रही हैं और आते दिनों तक अगर केंद्र की ओर से अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कदम नहीं उठाए गए तो कई कारोबारियों को इस बार दिवाली फीकी रहने का खतरा जाहिर किया जा रहा है इस साल तो गुजरात हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जबकि 11 अक्टूबर को गुरदासपुर पंजाब की उपचुनाव भी है जहां स्थानिक मुद्दों के साथ-साथ वस्तु पर सेवा कर के कारण कारोबार में आई गिरावट का मुद्दा भी छाए रहने की संभावना है वस्तु और सेवा कर लागू हुए को 3 महीने का समय पूरा होने को है और त्योहारी सीजन में पहले कई कारोबारी कई आकर्षक नगद छूट की राहत देते थे पर वस्तु पर सेवा कर के लागू होने के बाद भी कई वस्तुएं, गाड़िया ज्यादा महंगी हो गई है जिस कारण कारोबारी अब ग्राहक को नगदी राहत देते नजर नहीं आ रहे हैं भाजपा की अब तक की पहचान तो अबतक कारोबारियों की पार्टी की ओर से ही होती थी पर अब तक भाजपा के साथ संबंधित कारोबारी कह रहे हैं कि इस कर के लागू होने के साथ बाजार में मंदी की लहर है टैक्स मामलों के माहिर पुनीत ओबरॉय का कहना है कि वस्तु और सेवा कर लागू करने के दौरान जो भी वादे किए थे वह पूरे नहीं हुए क्योंकि जो कारोबार इस टैक्स प्रणाली के घेरे में नहीं आते उनको जीएसटी का नंबर वापस करने की कोई सहूलत नहीं दी गई हालांकि वेबसाइट पर भी इसका कोई बदलाव नहीं रखा गया कई दुकानदारों को तो यह समझ नहीं आ रहा कि वस्तु पर कितनी दर वाला जीएसटी के साथ वसूल किए जाना है तो इसलिए लोगों से मनमर्जी की कीमत वसूल की जा रही है बाजार में तो गिरावट का एक कारण तो यह भी है कि कई लोगों से खरीदारी करने के लिए पैसे नहीं हैं क्योंकि जहां कारोबारियों को अभी तक अपना पुराना ही करोड़ों रुपए का वैट रिफंड नहीं मिला है तो उनको जीएसटी के लिए अपना टैक्स पेश की जमा करवाना पड़ रहा है