कहानी बरगद के पेड़ की

0
850

सड़क विस्तार के लिए सारे पेड़ों के काटने के बाद बच्चे हैं एक नियम और बरगद जो 80 साल के साथ में शोकाकुल है पहली बार निंबोला परसों जब हार सिंगार कटा था तो बहुत रोया बचा था सारे पक्षियों ने भी शोर मचाया गिरगिट ने रंग बदले दिल हारिया खुद की मगर कुल्हाड़ी नहीं पसीजा और फिर वह मेरे से 2 पौधे छोड़कर जब शीशम कटाना तो लगा कि मैं भी रो दूंगा चिड़िया के घोसले से अंडे गिर गए गिलहरियों ने तो मैंने जगह दे दी मगर तोते के बच्चे को डर से रिश्ते ही मर गए बरगद करा वह मेरे पास है आम जामुन और महुआ थे ना बेचारे गिर गया है कि हमारी सड़क वाली तरफ की टहनियां काट दो सारे पक्षियों ने भी जीजी कर गोल गोल चक्कर काटकर गुजारिश की मत चीनो हमारा घर पर पता नहीं यह आदम लोग कौन सी जुबान समझते हैं धड़ाम करके कटकर जी नीचे गिरे तो जमीन कब कपाई मानो अपनी छाती पीट रही हो नीम और बरगद बोले आपस में खैर जो हुआ सो हुआ अब हम दोनों ही संभालेंगे पक्षियों से लेकर छाया में रुकने वालों को अचानक बरगद बोला यह लकड़हारे फिर लौट आए कहीं हमें तो नहीं काटेंगे कह कर बरगद ने जोर से झुर्झुरी ली नीम ने भरोसा दिलाया अरे ऐसे ही आए होंगे सड़क तो बन गई है ना अब भला क्यों काटेंगे हमें थोड़ी देर में निशान लगने लगते हैं आदम लोग कह रहे हैं कि बस स्टॉप के लिए यही सबसे सही जगह है इन दोनों को काट देते हैं छोटा सा सैड लग जाएगा लिख देंगे प्रार्थना बस स्टैंड नेम चिल्लाया अरे मत काटो हमारी छाया में बेंच लगा लो हवा दे देंगे हम टहनियां हिलाकर निबोली भी मिलेगी और अच्छा लगेगा पक्षियों को देखकर बरगद ने हामी भरी सारे पक्षी आशिक से नीचे तक ले लगे पहले नीम की बारी आई आंखों में आंसू भर नींद में धनिया हिलाई बरगद ने थामा क्षण भर नींद को गर्ल बहिया डाली दोनों ने और धड़ाम से खत्म हो गया एक संसार अब बरगद देख रहा है उन्हें अपने पास आते सिकुड़ता है धनिया हिलाता है कातिल नजरों से नाता है पक्षी बोलते बोलते हैं मगर ना शुकरे आदि रखते हैं फिर सब खत्म यह नीम और बरगद का कत्ल नहीं है एक दुनिया का उतरना है बेजुबान जब मरते हैं तो बदले में बहुत कुछ दफन हो जाता है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here