अपना नववर्ष भारतीय नववर्ष

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अपना नववर्ष भारतीय नववर्ष
अपना नववर्ष भारतीय नववर्ष

#सुप्रभातम प्रिय मित्र !

#चैत्र शुक्ल प्रतिपदा (18 मार्च 2018) से प्रारम्भ हो रहे , भारतीय नववर्ष युगाब्द 5120 तथा विक्रमी सम्वत 2075 की आपको अग्रिम शुभकामनाये ! आइये इसके वैज्ञानिक महत्व को समझते है ।

प्रकृति – 1 जनवरी कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी। चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो।

वस्त्र – दिसम्बर और जनवरी में वही उनी वस्त्र। कंबल रजाई ठिठुरते हाथ पैर चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है , गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है ।

विद्यालयो का नया – दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नही। जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल।

नया वित्तीय वर्ष- दिसम्बर जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती। जबकि 31 मार्च को बैंको की(audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है। सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है।
अपना नववर्ष भारतीय नववर्ष

कलैण्डर-जनवरी में नया कलैण्डर आता है। चैत्र में नया पंचांग आता है उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं । इसके बिना हिन्दू समाज जीवन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्व पूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग।

किसानो का नया साल – दिसंबर जनवरी में खेतो में वही फसल होती है , जबकि मार्च अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो की वार्षिक योजना बनती है।

पर्व मनाने की विधि – 31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है ,रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी बारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल,और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है। शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है।

ऐतिहासिक महत्त्व – 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है, जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत भगवान झूलेलाल का जन्म नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना, इत्यादि का संबंध इस दिन से है।

अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला….

अपना नव संवत् ही नया साल है।

जब ब्रह्माण्ड से लेकर
सूर्य चाँद की दिशा,मौसम,फसल,कक्षा,
नक्षत्र,पौधों की नई पत्तिया,किसान की नई फसल,विद्यार्थी की नई कक्षा,मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है।

तब अपनी मानसिकता को बदले। विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने।

1 जनवरी को केवल कैलेंडर बदलें। अपनी संस्कृति नही।
आओ जगे जगाये,भारतीय संस्कृति अपनाये , आधुनिक बने ।

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