बिना केमिकल के जेविक खेती का चमत्कार

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बिना केमिकल के जेविक खेती का चमत्कार
बिना केमिकल के जेविक खेती का चमत्कार

बिना केमिकल के जेविक खेती का चमत्कार
10 साल से गोबर खाद से कर रहे खेती
1991 से शुरू हुई दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की कामधेनु गोशाला में करीब 10 साल से बिना यूरिया और रासायनिक छिड़काव के आधुनिक खेती की जा रही है।करीब 300 एकड़ जमीन पर चल रही ‘हितकारी खेती”प्रोजेक्ट की देखभाल दिव्य ग्राम नूरमहल के सरपंच लखविंदर सिंह कर रहे हैं।ऑर्गेनिक खेती आशुतोष महाराज के मार्गदर्शन में ‘आधा खाओ लेकिन जहर मत खाओ’ पर काम करते हुए की गई थी।इसके लिए देसी गाय के गोबर से बनी खाद का इस्तेमाल किया गया और पहले साल से ही अच्छे नतीजे आ रहे हैं।गाय के 1 किलो गोबर से 25 किलो तक ऑर्गेनिक खाद तैयार हो सकती है।एक गाय का गोबर एक साधारण किसान की खाद की पूर्ति कर देता है,लेकिन यूरिया ने किसानों की आंखों पर पर्दा डाल दिया था।
लखविंदर सिंह ने कहा कि दही जमाने के लिए जिस तरह दूध में जाग लगाई जाती है,उसी तरह खेतो में गाय के गोबर की खाद उसकी फर्टिलिटी में जाग का काम करती है।संस्थान में गाय के गोबर,पराली, पत्तों,गोमूत्र और थोड़े गुड़ से बनाई गई खाद काम कर रही है।आज रासानिक खाद से ज्यादा पैदावार इन्हीं खेतों में हो रही है और सिर्फ सब्जी की खुशबू नहीं लोटी,बल्कि की मिट्टी की सुगंध भी लौट आई है। गाय के गोबर से जमीन रसायनिक नशे से बाहर आ चुकी है।यहां 10 साल से पुराली नहीं जलाई गई।पराली से चारा बनाया जाता है और खेतों में मलचिग करके उसकी नमी बरकरार रखी जाती है।
अफसरों में बढ़ रहा गाय पालने का चलन
गौशाला का काम देख रहे स्वामी चिन्मयानंद कहते हैं कि एक बड़े पुलिस अधिकारी ने कुछ दिनों से दूध लेना बंद कर दिया है।कारण बड़ा सुखद है।उन्होंने गाय पाल ली है।हमारा मकसद भी यही है।वे दूध का व्यापार नहीं,बल्कि चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग गाय पाले। अच्छी क्वालिटी का दूध अगर शहर के कुछ लोगों को भी मिलेगा तो वे भी चर्चा करेंगे।अच्छा दूध आज हर कोई पीना चाहता है लेकिन गाय पालना नहीं चाहता।रोजाना कई कॉल्स आती है कि दूध दे दो, लेकिन संसाधनों की सीमा के कारण हजारों घरो तक दूध नहीं पहुंचा सकते। आस-पास के किसानों को भी जोड़ा:-लखविंदर सिंह बताते हैं कि ऑर्गेनिक खेती से सबसे पहले सब्जियां उगाई गई।सब्जी का स्वाद30- 40 साल पहले होने वाली फसल जैसा था।आज संस्थान के खेतों में सभी मौसमी सब्जियां उगाई जा रही हैं।संस्थान में तैयार होने वाली सब्जी का रेट बाजार से करीब 10रुपये प्रति किलो ज्यादा है।उन्होंने बताया कि ‘हितकारी खेती, में सफलता मिली तो उन्होंने आस-पास के किसानों को भी साथ जोड़ा।उन्हें कहा गया कि हम कम से कम अपने बच्चों को तो अच्छी चीज खिलाओ।कई किसान ऑर्गेनिक खेती के लिए मान गए और आज वे भी दूसरे किसानों से ज्यादा कमाई कर रहे हैं।
16 गांव से हुई थी शुरुआत:- दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की कामधेनु गोशाला 1991 में 16 गायों से शुरू हुई थी।आज यह गिनती 800 तक पहुंच चुकी है।रोजाना 150गायों से 1200 लीटर दूध दुहा जा रहा है।इनमें से 850 लीटर दूध संस्थान के ब्रह्मचारी साधकों और फार्मेसी में ओषधि बनाने में इस्तेमाल हो रहा है।बाकी 350 लीटर दूध 95 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से जालंधर शहर में बेचा जा रहा है।
बड़े घरों में सप्लाई हो रहा दूध:-जालंधर में टैगोर अस्पताल के मालिक डॉक्टर विजय महाजन,हवेली के मालिक सतीश जैन, आईजी अर्पित शुक्ला एंड आई जी काउंटर इतेलिजेंस हर्कवल प्रीत सिंह खख,एसएसपी गुरप्रीत सिंह भुल्लर कई घरों में गौशाला से दूध बेचा जाता है।

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