जानिए कोर्टिसोल हार्मोन और मोटापा
हमारे शरीर को कैसे पता चल जाता है कि पेट भर गया है? क्योंकि एक सीमा के बाद हम और नहीं खा पाते? ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि लेप्टिन नाम का हार्मोन हमारे दिमाग को संदेश भेज देता है।जैसे जैसे हम खाना खाते हैं,शरीर में लेप्टिन की मात्रा बढ़ने लगती है। दिमाग के रिसेप्टर से जुड़कर यह हार्मोन संदेश देता है जैसे-जैसे हम खाना खाते हैं शरीर में लेप्टिन की मात्रा बढ़ने लगती है। दिमाग के रिसेप्टर से जुड़कर ही हार्मोन संदेश देता है कि अब पेट भर गया इस तरह हमारे वजन को भी काबू में रख पाता है। अगर यह ना हो तो हम लगातार खाना खाते ही चले जाएंगे कैसे पता चलता है लेप्टिन की कमी शरीर में लेप्टिन हार्मोन तो है लेकिन यह सक्रिय नहीं हो पा रहा और इसीलिए लगातार भूख का एहसास होता रहता है। ब्लड टेस्ट से इस बारे में पता लगाया जा सकता है। लेकिन अगर ब्लड टेस्ट से सही जानकारी ना मिले तो लेप्टिन जीन का टेस्ट किया जाता है। जिस तरह से डायबिटीज टाइप वन के मरीजों को इंसुलिन के इंजेक्शन दिए जाते हैं उसी तरह लेप्टिन की कमी होने पर होर्मोन के इंजेक्शन दिये जाते हैं। लेप्टिन को बढ़ाने वाले आहार लेप्टिन हार्मोन को बढ़ाने के लिए आयुक्त जामुन, हरी पत्तेदार सब्जियां और बीन्स का सेवन करें। बिन्स को वेट लोस के लिहाज से सबसे अच्छा माना जाता है। बिन्स में ऐसे तत्व होते हैं जो हार्मोन बढ़ाने में मदद करते हैं।एक नाशपाती भूख को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त होती है। भूख मिटाने के लिए सेब, नाशपाती के बाद सबसे अच्छा स्रोत है।दोनों ही फलो में पेकिटन फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर को कम करता है।थोड़ी सी दाल चीनी खाकर भोजन के बाद मीठा खाने की चाहत को आसानी से कम किया जा सकता है।दालचीनी सेहत के लिहाज से भी बहुत अच्छी है।एक छोटा चम्मच दालचीनी के पाउडर का सेवन टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है।