सत्य घटना पर आधारित फिल्म बाटला हाउस

0
987
सत्य घटना पर आधारित फिल्म बाटला हाउस
सत्य घटना पर आधारित फिल्म बाटला हाउस

उस शीतल सुखद बयार का ही एक झोंकाबाटला बटाला हाउस फिल्म में भी है 19 सितंबर 2008 को दिल्ली केबाटला हाउस में हुए एक इनकाउंटर ने दिल्ली के साथ-साथ पूरे देश को दहला दिया था इस इंपॉर्टेंट ने अपने साथ बहुत गंभीर विवादों को जन्म दिया था इसे लेकर पूरे देश में आरोप प्रतिरोधों का माहौल गरमाया था इस इन काउंटर पर चढ़े विवाद में देशों में उसी स्वार्थी देश गाती राजनीति का बहुत घिनौना चेहरा और चरित्र जनता के सामने उजागर कर दिया था उस एनकाउंटर की घटना के 11 साल बाद इसे पर्दे पर उतारने और इसका सच बताने के लिए फिल्म बटाला हाउस आज 15 अगस्त को रिलीज हो गई है यह फिल्म बहुत चर्चितबाटला हाउस इन काउंटर से जुड़े सत्य से दर्शकों को परिचित कराती है 11 वर्ष पूर्व देश की राजनीति में भूचाल ला देने वाली इस बटाला हाउस एनकाउंटर की घटना का सच बताते समय बाटला हाउस फिल्म के लेखक निर्देशक ने उस घटना के गुनाहगारों तथा देश के सफेदपोश 86 गद्दारों के कपड़े शोर-शराबे के साथ नहीं पढ़े हैं बल्कि रेशमी दस्ताने पहनकर बहुत संभाल संभाल कर उनके सारे कपड़े इस तरह उतारे हैं कि फिल्म का अंत होते वह गुनाहगार गद्दार पूरी तरह नंगे नजर आने लगते हैं इस फिल्म को जॉन इब्राहिम के अब तक के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म माना जा सकता है 77 इससे इस साल की सबसे दमदार फिल्मों में से एक भी कहा जा सकता है बटाला हाउस सरीखे विषय पर इतनी साफगोई से बनी इस फिल्म को देखना मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य रहा उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्ष में भारतीय फिल्मों के विषय वस्तु के चरित्र और चेहरे में उल्लेखनीय परिवर्तन की बयार बह रही है मुझे भलीभांति याद है आप मित्रों को भी अवश्य याद होगा कि कुछ वर्ष पूर्व तक विद्यार्थी अश्लील संवादों और मां बहन की गलियों की भरमार वाली फिल्मों का जबरदस्त दौर चलता रहा था शर्मनाक अवैध संबंधों और अदाओं का मुख्य केंद्रीय पात्र नायक नायिका अपराधियों को बनाया जाता था इसके लिए हम को आप को दोषी यह कहकर ठहराया जाता था कि दर्शक यही देखना चाहते हैं 1990 के दशक में खालिस्तानी आतंकियों के लिए सहानुभूति बटोरने वाली फिल्म माचिस बनी थी तो मुंबई को बंबू से लाकर सेंड करो निर्दोषों के खून से होली खेलने वाले आतंकियों को हालात का मारा पता कर उनका महिमामंडन करती फिल्म ब्लैक फ्राइडे भी बनी थी द्रोही हत्यारे आतंकियों का भजन कीर्तन करती उनके लिए सहानुभूति उत्पन्न करने के परिवारों की जाफना हैदर की दर्जनों फिल्में लेकिन अभी देहाती हत्यारों के खिलाफ फिल्म बनाने से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री सही करती थी यही कारण है कि जिस गुजरात दंगों में 12000 मौतें हुई उस गजरारे के लगभग आधा दर्जन फिल्में 1990 में कश्मीर में पांच लाख कश्मीरी पंडितों पर मुस्लिम जिहादियों द्वारा किए गए हत्या बलात्कार लूट के अत्याचार पर आज तक एक भी फिल्म नहीं बनी लेकिन अब पिछले 3 सालों से बिहार बदलती है उसका ही एक झोंकाबाटला हाउस है

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here