कुपोषण से निपटने में कारगर आयुर्वेद
कुछ साल पहले बाल कुपोषण से निपटने के लिए मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में एक पायलट परियोजना शुरू हुई थी।खास बात यह कि इसमें आयुर्वेदिक पद्धति अपनाई गई कुपोषण के खिलाफ आयुर्वेद का परिचय काफी सफल रहा था।यह योजना पूरे प्रदेश में लागू हुई हुई,लेकिन किसी ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया।मध्य प्रदेश में बाल पोषण खत्म करने के लिए राज सरकार ने 24 दिसंबर 2010 को अटल बिहारी वाजपेई बाल आरोग्य एवं पोषण अभियान शुरू किया था साथ ही, कुपोषण को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक पद्धति को आजमाने का निर्णय लिया था।इसके बाद आयुष विभाग ने आयुर्वेद पद्धति से पोषण दूर करने के लिए 2011 में इंदौर जिले के दतोदा और महू ब्लाक में एक पायलट परियोजना शुरू की। उज्जैन के पूर्व जिला आयुष अधिकारी डॉ विनोद वैरागी को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी।योजना के तहत कुपोषण के शिकार बच्चों को पौष्टिक तत्व देने के साथ उसकी मालिश भी की जाती थी।परिणाम उत्साह वर्दक रहे तो आयुष विभाग ने समूचे प्रदेश में इसे लागू कर दिया दिलचस्प बात यह है कि पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों के इलाज पर सरकार कितनी राशि खर्च करती है,उससे कई गुना कम खर्च आयुर्वेद पद्धति से इलाज कर होता है।इसके बावजूद अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया यही समझा जाता रहा कि यह काम महिला एवं बाल विकास और लोक स्वास्थ्य विभाग का है इसका परिणाम यह हुआ कि आयुष विभाग को मालिश के लिए तेल खीर के लिए दूध और औषधि के लिए कोई बजट नहीं मिला यहां जहां जिला आयुष अधिकारियों ने इस योजना में दिलचस्पी ली वहां यह सुचारु रुप से चलती रही हालिया दिनों में प्रदेश में कुपोषण के कुछ मामले सामने आने के बाद अधिकारियों का ध्यान एक बार फिर इस प्रगति की ओर गया है बेहद किफायती इलाज खास बात यह है कि आयुर्वेद उपचार घर और आंगनवाड़ी सतह पर किया जाता है इस से बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती की आवश्यकता नहीं होती आयुर्वेद पद्धति से इलाज का एक फायदा यह है कि यह काफी किफायती है पुनर्वास केंद्र में बच्चों को भर्ती करने पर सरकार को करीब 5000 खर्च करने पड़ते हैं जबकि आयुर्वेद पद्धति से उपचार करने पर मात्र 300 का ही खर्च आता है।कुपोषण से निपटने में कारगर आयुर्वेद