म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंगसान सू की ने आज पहली बार रोहिंग्या संकट पर अपनी चुप्पी तोड़ी सू की ने अपने संबोधन में कहा कि वह जानती है कि पूरी दुनिया की नजर फिलहाल रखाइन राज्य में जारी हिंसा के बाद रोहिंग्या मुसलमानों की हिजरत पर टिकी हुई है पर उन्होंने इस हिंसा के लिए पिछले साल भर में रोहिंग्या कट्टरपंथियों की ओर से हो रहे हमलो को भी जिम्मेवार बताया है सू की ने यह स्पष्ट किया कि उनको लगातार बढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय भाईचारे के दबाव से कोई फर्क नहीं पड़ता वह राज्य की स्थिति को सुधारने के लिए एक स्थाई हल ढूंढने के लिए वचनबद्ध हैं हालांकि सू की ने देश के नाम अपने संबोधन में उन बेगुनाहों लोगों के प्रति दुख प्रकट किया है जिनको अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा अपने संबोधन में सू की ने कहा कि कट्टरपंथी गठन ने पुलिस चौकियों को अपना निशाना बनाया जिसके बाद भड़की हिंसा ने लोगों के घरों को जला दिया| उन्होंने कहा की ताजा हिंसा 25 अगस्त को भड़की जबकि पुलिस चौकी पर कट्टरपंथी रोहिंग्या ने हमले किए | इसलिए सरकार ने अराकन रोहिंग्या सेल्वेशन आर्मी को आतंकवादी गुठ ऐलान कर दिया गया| सू की ने कहा कि हम नहीं चाहते कि म्यांमार एक ऐसा देश बने जो धर्म और जाति के नाम पर बांटा जाए उन्होंने कहा कि जो शरणार्थी वापस आना चाहते हैं उनकी पड़ताल संबंधी जांच प्रक्रिया शुरु की जा रही है |हमें देखना पड़ेगा कि आखिर हिजरत क्यों हो रही है| सू की अंतरराष्ट्रीय दबाव से नहीं डरते वह उन लोगों के साथ बात करना चाहती हूं जो रखायण छोड़कर बांग्लादेश जा रहे हैं सु की ने अंतरराष्ट्रीय भाईचारे को अपील की है कि म्यांमार को पूरे देश के तौर पर दिखाया जाए ना कि उनको ना केवल एक छोटा जैसा हिंसाग्रस्त इलाके के आधार पर नापे|