अमृतसर- कुछ गायनी डॉक्टरों की स्पष्टवादिता बनी परेशानी का कारण
मैं सुबह 8:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक ही मरीजों को देखूंगी। एक बार घर चली गई तो ड्यूटी पर नहीं आ सकती । यह शब्द सिविल हस्पताल में कार्यरत कुछ गायनोलॉजिस्ट के हैं, जो स्पष्ट शब्दों में कहते हैं कि वह केवल 6 घंटे ड्यूटी करेंगी। इन गायनी डॉक्टरों के ऐसे व्यवहार से जहां गर्भवती महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, वही अस्पताल प्रशासन भी हैरानी भरी बेबसी की स्थिति में है।दरअसल,जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल हस्पताल में पिछले लंबे समय से गायनी डॉक्टरों की कमी के कारण गर्भवती महिलाओं को मानसिक पीड़ा का सामना करना पड़ रहा था। एक गायनी डॉक्टर की महिलाओं की जांच कर रही थी। इसी डॉक्टर के कंधों पर डिलीवरी का उत्तरदायित्व भी था। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग के कुछ गायनी डॉक्टरों को सिविल हस्पताल में नियुक्त किया। डॉक्टरो के आने से मरीजों की परेशानी तो खत्म हुई, इसके बाद यदि उन्हें फोन कर बुलाया गया तो वह हस्पताल में नहीं आएगी। वास्तव में स्वास्थ्य विभाग की नियमावली के अनुसार स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को 24 घंटे ड्यूटी देने के लिए तत्पर रहना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भवती महिलाओं को किसी भीषण प्रसव पीड़ा शुरू हो सकती है, इसलिए दिन और रात डिलीवरी की परिक्रिया संपन्न की जाती है। कईमर्तबा डिलीवरी केस इतना क्रिटिकल होता है कि स्टाफ नर्स उसे संभालने में सक्षम नहीं होती। ऐसे में स्पेशलिस्ट डॉक्टर को हस्पताल में पहुंचना लाजमी है। चाहे दिन हो या रात, उन्हें आना ही पड़ेगा। यह सरकार की विशेष गाइडलाइन है। सरकार की ओर से बकायदा इन डॉक्टरों को अतिरिक्त मेहनताना भी दिया जाता है। दुखद पहलू है कि कुछगायनोलॉजिस्ट दोपहर 2:00 बजे के बाद ड्यूटी करने को तैयार नहीं। गायनी डॉक्टरों की स्पष्टवादिता अस्पताल प्रशासन के लिए परेशानी का पर्याय बन गई है। अजीब दलील कि दोपहर के बाद नहीं करेंगी डिलीवरी -गायनी डॉक्टरों की दादागिरी के तोर पर देखा जा रहा है