महाभारत ग्रन्थ के अनुसार इन 6 बातों की वजह से आती है सफलता में अड़चन, सबको जाननी चाहिए ये बातें..

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महाभारत ग्रन्थ के अनुसार इन 6 बातों की वजह से आती है सफलता में अड़चन, सबको जाननी चाहिए ये बातें

महाभारत ग्रन्थ के अनुसार इन 6 बातों की वजह से आती है सफलता में अड़चन, सबको जाननी चाहिए ये बातें..

सनातन धर्म के सबसे बड़े दार्शनिक ग्रंथ महाभारत (Mahabharata) के उद्योग पर्व में 6 तरह की गल’त आदतों के बारे में बताया है। इस पर्व में महात्मा विदुर ने जीवन को सुखी और सफल बनाने के लिए नीतियां भी बताई हैं।

महात्मा विदुर ने इस पर्व में उन आदतों के बारे में बताया है, जिनसे कोई भी इंसान गरीब होने लगता है और उन गलत आदतों के कारण कभी सफल भी नहीं हो पता। महाभारत (Mahabharata) में जिन 6 बु’री आदतों के बारे में बताया है वो हर इंसान के जीवन में परेशा’नियां बढ़ाती है। आपको भी तरक्की और सफलता के लिए महाभारत की इन 6 बातों को ध्यान में रखना चाहिए।

महाभारत का श्लोक —

षड् दोषा: पुरुषेणेह हातव्या भूतिमिच्छता।

निद्रा तन्द्रा भयं क्रोध आलस्यं दीर्घसूत्रता।।

इस श्लोक के अनुसार जो व्यक्ति गलत समय पर सोता है, तंद्रा यानी उंघता है, ड’रता है, क्रो’ध करता है, आलस्य करता है, खुद पर विश्वास नहीं करता है, वह कभी भी सुखी और सफल नहीं हो पाता है।

1: गलत समय पर सोने से हानि- जो इंसान गलत समय पर सोता है। गलत समय यानी सुबह सूर्योदय के समय, दोपहर में और सूर्यास्त के समय सोने से बचना चाहिए। ये समय काम करने के लिए है। इस समय सोएंगे तो कोई भी काम पूरा नहीं हो पाएगा।

2:-सही समय पर सोने से लाभ – जो व्यक्ति सही समय पर सोता नहीं है, नींद अधूरी रहती है तो वो दिनभर उंघता रहता है। काम नहीं कर पाता है। समय की कद्र नहीं करता है तो वह सफल नहीं हो सकता है। काम करते समय इस दो’ष से भी बचना चाहिए।

3: डर – अकारण ड’रना भी एक बड़ा दो’ष माना गया है। जिसके मन में ड’र होता है, वह किसी भी काम में सफल नहीं हो सकता है।

4: क्रोध – बात-बात पर गु’स्सा करना भी परे’शानी का बड़ा कारण है। जो व्यक्ति हमेशा गु’स्से में रहता है और गु’स्से में ही निर्णय लेता है, वह कभी भी सफल नहीं हो सकता है।

5: – आलस्य — आलस्य एक ऐसा दो’ष है, जिससे व्यक्ति वर्तमान और भविष्य दोनों ख’राब कर लेता है। आलस्य के कारण इंसान उन्नति नहीं कर पाता है।

6:स्वयं पर विश्वास — हर व्यक्ति को खुद पर विश्वास बनाए रखना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी होती है तो जीवन में कभी सफलता नहीं मिल पाती है।

कुतुबुद्दीन ऐबक घोड़े से गिर कर मरा था

 यह तो सब जानते हैं,

लेकिन कैसे …..?

यह आज हम आपको बताएंगे..

वो वीर महाराणा प्रताप जी का ‘चेतक’ सबको याद है,

लेकिन ‘शुभ्रक’ नहीं!

तो मित्रो आज सुनिए

कहानी ‘शुभ्रक’ की……

सूअर कुतुबुद्दीन ऐबक ने राजपूताना में जम कर कहर बरपाया,

और

 उदयपुर के ‘राजकुंवर कर्णसिंह’ को बंदी बनाकर लाहौर ले गया।

कुंवर का ‘शुभ्रक’ नामक एक स्वामिभक्त घोड़ा था,

जो कुतुबुद्दीन को पसंद आ गया और वो उसे भी साथ ले गया।

एक दिन कैद से भागने के प्रयास में कुँवर सा को सजा-ए-मौत सुनाई गई..

और सजा देने के लिए ‘जन्नत बाग’ में लाया गया।

यह तय हुआ कि

राजकुंवर का सिर काटकर उससे ‘पोलो’ (उस समय उस खेल का नाम और खेलने का तरीका कुछ और ही था) खेला जाएगा..

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कुतुबुद्दीन ख़ुद कुँवर सा के ही घोड़े ‘शुभ्रक’ पर सवार होकर अपनी खिलाड़ी टोली के साथ ‘जन्नत बाग’ में आया।

‘शुभ्रक’ ने जैसे ही कैदी अवस्था में राजकुंवर को देखा,

उसकी आंखों से आंसू टपकने लगे।

जैसे ही सिर कलम करने के लिए कुँवर सा की जंजीरों को खोला गया,

तो ‘शुभ्रक’ से रहा नहीं गया..

उसने उछलकर कुतुबुद्दीन को घोड़े से गिरा दिया

और उसकी छाती पर अपने मजबूत पैरों से कई वार किए,

जिससे कुतुबुद्दीन के प्राण पखेरू उड़ गए!

इस्लामिक सैनिक अचंभित होकर देखते रह गए..

.

मौके का फायदा उठाकर कुंवर सा सैनिकों से छूटे और ‘शुभ्रक’ पर सवार हो गए।

‘शुभ्रक’ ने हवा से बाजी लगा दी..

लाहौर से उदयपुर बिना रुके दौडा और उदयपुर में महल के सामने आकर ही रुका!

राजकुंवर घोड़े से उतरे और अपने प्रिय अश्व को पुचकारने के लिए हाथ बढ़ाया,

तो पाया कि वह तो प्रतिमा बना खडा था.. उसमें प्राण नहीं बचे थे।

सिर पर हाथ रखते ही ‘शुभ्रक’ का निष्प्राण शरीर लुढक गया..

भारत के इतिहास में यह तथ्य कहीं नहीं पढ़ाया जाता ।

 क्योंकि वामपंथी और  सेक्युलर लेखक  ऐसी दुर्गति वाली मौत को बताने से हिचकिचाते हैं । आज के युग में इन्हें पक्के सेक्युलर कहते है , जिन्होंने अपने गौरव पूर्ण इतिहास को बेइज्जती के साथ लिख कर देश की जनता में परोसा है ।

जबकि

फारसी की कई प्राचीन पुस्तकों में कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत इसी तरह लिखी बताई गई है। परन्तु हमारे देश के सेक्युलर कांग्रेसी और बामपंथी बरबाद कर रख दिये है ।

नमन स्वामीभक्त ‘शुभ्रक’ को..

पढ़कर सीना चौड़ा हुआ हो तो भेज देना सबकाे वन्दे मातरम, मां भारती की जय

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