पापा की सीख
अंधविश्वास के फेर में उलझी छात्रा को जब उसके पिता ने उबारा इसके भ्रम से तो उसे मिली सीख की कड़ी मेहनत से ही खुलता है इंसान की किस्मत का ताला…
अंधविश्वास, आत्मविश्वास की राह में सबसे बड़ी बांधा है।फिर भी इसके बाद बीज कोमल मन में कभी तब अंकुरित हो जाए, कोई नहीं जानता।अंधविश्वास सिर्फ वही नहीं होता जिसे हम पीढ़ियों से ढोते चले आ रहे हैं।कई बार हम सुनकर या देख कर भी इस के वशीभूत हो जाते हैंजीवन में घटने वाली घटनाओं के कारण शुभ-अशुभ, अच्छी-बुरी आदि बातें कई बार मन में उपजने लगती है।
बात उन दिनों की है जब मैं ग्रेजुएशन कर रही थी।मेरे एग्जाम चल रहे थे।मुझे याद है कि उस दिन केमिस्ट्री का पहला पेपर था।जब मैं कॉलेज पहुंची तो सभी सहेलिया पड़ने में लगी थी।अभी पेपर शुरू होने में समय था, सो मै भी अपनी किताब खोल कर पढ़ने लगी।तभी मेरी सहेली समिति आई और बोली,”वंदना तुम्हारा आज का पेपर बहुत अच्छा होगा।इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, सभी सहेलिया कहने लगी कि इसमें पढ़ाई भी तो की है।इसका पेपर तो अच्छा होगा ही।इस बात पर स्वाति ने तुरंत जवाब दिया,”मैं पढ़ाई की वजह से नहीं कर रही हूं।मैं तो आज जो इसने पीले रंग का सलवार सूट पहना है, इसके कारण जा रही हूं।वाकई में यह सूट इसके लिए बहुत लकी है।मैंने आश्चर्य से सवाती की तरफ देखा तो वह मुस्कुराते हुए कहने लगी,”तुमने ये सूट साइंस क्विज में भी पहना था तो तुम्हें प्रथम पुरस्कार मिला था।फिर तुमने केमिस्ट्री प्रैक्टिकल में यही सूट पहना था तो सबसे ज्यादा नंबर तुम्हें ही मिले थे जबकि बिना गलती के दिव्या मम ने पूरी क्लास को डाट लगाई थी सिर्फ तुम्हें छोड़कर।मैं उसकी बात पर हंसकर बोली,”क्या बेकार की बातें करती हो।इन बातों में मत पड़ो।यह कहकर हम सहेलिया हंसने लगी थी। संजोग था फिर मेरी मेहनत, मेरा उस दिन का पेपर बहुत अच्छा हुआ। स्वाति अपनी बात को पुख्ता करते हुए बोली कि मैंने कहा था तुम्हारा पीला सूट बहुत लकी है फिर क्या था, अंधविश्वास का बीज भी मेरे मन मस्तिष्क में घर कर गया।अब मेरी बारी थी अगले पेपर की और बीच में 3 दिन की छुट्टियां थी। मैंने छुट्टियों का फायदा उठाते हुए पेपर की अच्छे से तैयारी की।पर पता नहीं क्यों मुझे उस दिन अपनी तेयारी पर भरोसा नहीं था।अब तो अंधविश्वास मुझ पर तेजी से हावी हो रहा था।
जब पेपर देने के लिए तैयार होने लगी तो निगाह उसी सूट पर ठहर गई मन में आया कि शायद स्वाति की बात सत्य है, इसलिए इसे ही पहनना चाहिए।इसलिए जानबूझकर पीला सूट पहना।पापा मुझे स्कूटर से कॉलेज छोड़ने जा रहे थे।उन्होंने हमेशा की तरह मेरी परीक्षा के बारे में पूछा।पूरी तो ठीक है पता नहीं क्यों लग रहा है कि आज मेरा पेपर अच्छा नहीं होगा।इसलिए मैंने अपना लकी सूट पहन लिया है।इतना सुनते ही पापा ने स्कूटर में ब्रेक लगाया और वापस लौटने लगे।पापा का चेहरा देखकर यह पूछने की हिम्मत नहीं हुई थी वह कहां जा रहे हैं।पापा ने दरवाजे पर स्कूटर रोका तो मुझे लगा कि शायद ड्राइविंग लाइसेंस भूल गए हैं। पर नाराजगी जताते हुए कहने लगे कि जाओ यह सूट बदलकर आओ।
अरसे बाद उस दिन पापा मुझे इतने गुस्से में दिखे थे।मैं चुपचाप कमरे में गई औरसूट बदल कर आ गई।इसके बाद पापा ने मुझे कॉलेज छोड़ दिया। मेरा मूड बहुत खराब था कि पापा को एग्जाम के दिन ऐसा नहीं करना चाहिए था।बुझे मन से एग्जाम देने बैठी तो देख कर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था।मैंने पर्याप्त समय के अंदर ही पूरा पेपर हल कर लिया था।उस दिन जब पापा मुझे कॉलेज लेने आए तो मैं चुपचाप उसके साथ कुछ देर बाद पूछा तो मैंने जवाब दिया कि पूरा पेपर बहुत अच्छे से सॉल्व कर लिया।इसके बाद पापा ने मुझे समझाते हुए बोले,” तुम्हारा रिजल्ट हमेशा अच्छा आता है।इधर 3 दिन मैंने तुम्हें सिर्फ पढ़ते देखा था इसलिए पूरा विश्वास था कि तुम अच्छा करोगे।तुमने मन लगाकर पढ़ाई की थी और इसलिए गुस्से में मैंने तुम्हें सूट बदलने को कहा था उनकी बातें सुनकर मैंने कहा की पापा अगर मेरा पेपर बिगड़ जाता तो तब क्या होता? पापा ने मुझे समझाते हुए कहा कि ऐसे तो तुम एग्जाम में फेल होती ना कि जिंदगी की परीक्षा में।पापा के बात पर मैं निरुत्तर थी।इसके बाद से मैंने सिर्फ और सिर्फ मेहनत और आत्मविश्वास कर पर भरोसा किया और हमेशा सर्वोच्च अंको में उच्च शिक्षा पूरी की।
मै व्यक्तिगत अनुभव से कहना चाहती हूं कि हमें हमेशा आत्मविश्वास के साथ मेहनत पर भरोसा करना चाहिए ना कि किसी लकी चार्म के सहारे सफलता की राह तलाशनी चाहिए।