कहानी
समय खुद को दोहराता है
माता-पिता को अपने बच्चों से प्यार करने के लिए यूं तो किसी प्रेरणा की जरूरत नहीं होती फिर भी यह अनुभव रोमांचक होता है कि कभी वह भी अपने बच्चों की तरह छोटे थे और तब उनके अपने माता पिता ने उन्हें जो प्यार दिया था,लगभग मानवीय जिम्मेदारी के चलते उसे उन्हें अब आगे बढ़ाना होगा।
उस दिन अपने 8 साल के बेटे की जिद पर बिगड़ते हुए मैं भी यही सोचने लगी थी।बड़े जिद्दी हो गए हो तुम, बिल्कुल बात नहीं मानते,’ ऐसा बोलते हुए मैंने उससे टिफिन में उसका फेवरेट पास्ता दिया और स्कूल के लिए रवाना किया था।उसके जाने के बाद मेरे बचपन का वो लम्हा मेरी आंखो के सामने आ गया, जब पापा पांच रुपये का नोट लिए बार-बार कह रहे थे कि यह ले बेटा,रेसेस में समोसा खा लेना।, लेकिन मैं इतनी जिद्दी थी कि मनपसंद नाश्ता ना बनने के कारण टिफिन स्कूल नहीं ले गई, ना ही वों रुपये लिए।
लेकिन जब रेसेस में पेट में चूहे कूदने लगे,तब पापा का चेहरा याद आया।कितनी परवाह थी उन्हें मेरी।उन्हें मालूम था कि मुझसे भूख सहन नहीं होगी।अब मुझे बढ़ा पश्तावा होने लगा था।कि तभी बाई जी की आवाज आई- ज्योति, तुम्हारा टिफिन आया है। टिफिन खोलकर देखा तो उसमे समोसा भी था।मेरा चेहरा खिलखिला उठा।
आज जब मेरा अपना बेटा वेसी ही जिद कर रहा था तो मुझे महसूस हुआ की समय खुद को दोहराता है, केवल हमारी भूमिकाये बदल जाती है।माता पिता ने हमारे लिए जो किया, वह तो हम कभी चुका नहीं सकते, लेकिन अगर हम अपने बच्चे को उतना प्यार दे सके, जितना माता –पिता ने हमें दिया था,तो वही क्या कम है।