कहानी :- घमंड हो गया चूर

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जिंदगीभर घमंड नहीं करेंगे जब पढ़ेंगें
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घमंड हो गया चूर

राहुल को अपनी क्लास में पढ़ने वाला शफीक पसंद नहीं था। शफीक के बारे में दूसरे लड़के कहते कि उसका दाखिला किसी खास कोटे के तहत हुआ है। कोटे से दाखिल हुए छात्रों के साथ अन्य छात्र ज्यादा बातचीत नहीं करते थे। रवि और महेश भी कोटे से दाखिल हुए थे।दरअसल,उनके स्कूल को शहर का सबसे महंगा स्कूल माना जाता था ।शफीक अमीर लड़कों की हैसियत देखकर नहीं, बल्कि उनकी बातों से जरूर प्रभावित हो जाता। कभी कभी मैं सोचता कि जब सभी एक साथ एक ही क्लास में पढ़ते हैं, तो उनके ग्रुप के लड़कों के साथ अलग व्यवहार क्यों किया जाता है? उसकी बाबा फलों का ठेला लगाते हैं, इसलिए? मगर उसे ठेले  से तो राहुल, रंजन, या असलम के घर वाले भी फल खरीदते हैं। स्कूल से घर तक की यात्रा क्या वह अपने आप कर लेते हैं? बस कार या रिक्शा चालक भैया से तो उन लोगों को मदद लेनी ही पड़ती होगी। महेश के पिता नहीं थी इसलिए घर चलाने के लिए उसके दादा जी चाय की दुकान चलाते थे। रवि के पिता भी कोई छोटा मोटा काम करते थे। इन तीनो में एक ही समानता थी। इन तीनो  का एडमिशन शहर के सबसे महंगे स्कूल में सिर्फ योग्यता के आधार पर हुआ था। राहुल इन तीनों से बहुत चिडता था। तीनो उसे अपने बराबर नहीं लगते थे, क्योंकि तीनों पैसे वाले नहीं थे। बाकी दो लड़के तो राहुल के रोब से सहम जाते। राहुल पढ़ाई में अच्छा था। वह अपने स्कूल में सबसे ज्यादा नंबर लेने वाला लड़का था। इन दिनों शफीक उसी हर क्षेत्र में टक्कर दे रहा था। यह बात राहुल को अच्छी नहीं लगती। उसे हमेशा लगता की शफीक जैसे लोग दोस्ती और भरोसे के काबिल नहीं होते। ऐसे लोगों से संबंध नहीं रखे जा सकते। इसी दौरान एक ऐसी घटना घटी एक दिन राहुल स्कूल से घर लौट रहा था, तो घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी। कुछ देर बाद सारा माजरा समझ में आया। अभी अभी पुलिस दो चोरो को पकड़ कर ले गई। राहुल की मां दुपहर में बाजार तक गई थी। दोपहर का सन्नाटा देख दो चोरों ने राहुल के घर का ताला तोड़ा और अंदर दाखिल होने ही जा रहे थे कि उधर से गुजरते हुए शफीक के पिता ने चोरों को देख लिया। फलों का ठेला सड़क पर ही छोड़ कर उन्होंने दूसरे ठेले वालों को बुलाया और सभी ने मिलकर चोरों को दबोच लिया। दबोचने से पहले शहीद के पिता ने 100 नंबर पर फोन मिला कर चोरों के बारे में पुलिस को सूचना दी। इसी वजह से पुलिस भी मौके पर जल्दी पहुंच गई।शफीक के पिता के कंधे पर एक चोर ने चाकू से वार किया। वह दर्द से करा रहे थे,लेकिन राहुल के पिता के आने तक वह डटे रहे। राहुल को खुद पर शर्म आ रही थी। उसने अपनी हैसियत के घमंड को चूर होकर जिन लोगों को दुखी किया उन्होंने ही उसके घर को बचाया अन्यथा कोई बड़ी घटना घट सकती थी। इन लोगों ने आज घर को लूटने से बचा लिया। राहुल की मां शफीक के पिता और उनके साथियों को हाथ जोड़ कर बार बार धान्यवाद कह रही थी, वह कह रही थी जिन लोगों से मुझे उम्मीद थी कि वह काम आएंगे वह लोग अपने-अपने घरों में बैठे रहे और जिन लोगों से मुझे जरा भी उम्मीद नहीं थी उन्होंने आज मेरे लिए इतना कुछ किया। राहुल को अपनी सोच पर बहुत शर्म आई जिन लोगों से दूर भागता था वह लोग भी कितने सहयोगी कितने इमानदार निकले । उसे शफीक की आंखें याद आ गई जिन में हमेशा दोस्ती का आमंत्रण दिखता था।  आज पता चल गया कि अमीर और गरीब में कोई भेदभाव नहीं होता।    

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